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द्रेपुंग मठ में परमपूज्य लिंग रिनपोछे का भव्य स्वागत : रविंद्र आर्य

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द्रेपुंग मठ में परमपूज्य लिंग रिनपोछे का भव्य स्वागत : रविंद्र आर्य
द्रेपुंग मठ में परमपूज्य लिंग रिनपोछे का भव्य स्वागत : रविंद्र आर्य

द्रेपुंग, भारत 

भारत के दक्षिणी भाग में स्थित प्रसिद्ध बौद्ध मठ द्रेपुंग लोसेलिंग में 1 फरवरी 2025 को एक ऐतिहासिक और अत्यंत पवित्र अवसर देखने को मिला। परमपूज्य लिंग रिनपोछे के आगमन पर मठ के संपूर्ण समुदाय ने उनका भव्य स्वागत किया। मठ के प्रमुख विद्वानों, वरिष्ठ भिक्षुओं, शिक्षकों, तुलकुओं (पुनर्जन्मे संत), मठ प्रशासन और असंख्य श्रद्धालु अनुयायियों ने इस अवसर पर अपनी श्रद्धा अर्पित की।

आध्यात्मिक उल्लास से भरा स्वागत समारोह : लिंग रिनपोछे के आगमन पर द्रेपुंग लोसेलिंग मठ में भव्य स्वागत समारोह आयोजित किया गया। इस पावन क्षण में मठ के प्रमुख महंत, अभिषेककर्ता (चैंटिंग मास्टर), अनुशासनाधिकारी, तथा 24 खंगत्सेन (भिक्षु छात्रावास) के प्रमुखों सहित असंख्य भिक्षु एवं श्रद्धालु उपस्थित थे। पूरे परिसर में भक्तिभाव, श्रद्धा और हर्षोल्लास का वातावरण था।

स्वागत समारोह की शुरुआत भव्य मंगलाचरण से हुई, जिसमें पारंपरिक बौद्ध मंत्रों का उच्चारण किया गया। इस दौरान पारंपरिक खतक (शुद्धता और आशीर्वाद का प्रतीक रेशमी वस्त्र), दीप, पुष्प एवं विशेष बौद्ध अर्पण के साथ उनका अभिनंदन किया गया।

पवित्र प्रार्थना सभा और सत्संग : लिंग रिनपोछे का स्वागत द्रेपुंग लोसेलिंग के मुख्य प्रार्थना सभागार में किया गया, जहां उन्होंने भिक्षु समुदाय और श्रद्धालुओं को अपना आशीर्वाद दिया। प्रार्थना सभा के दौरान भिक्षुओं और अनुयायियों ने बुद्ध, धर्म और संघ की स्तुति करते हुए पारंपरिक भजन और धार्मिक अनुष्ठान किए।

इसके पश्चात, रिनपोछे ने अपने प्रवचन में करुणा, शील (नैतिकता), ध्यान एवं ज्ञान की साधना पर विशेष मार्गदर्शन दिया। उन्होंने बताया कि ध्यान और आत्मअनुशासन के माध्यम से व्यक्ति न केवल अपने भीतर शांति स्थापित कर सकता है, बल्कि समाज में भी सद्भाव और प्रेम का संदेश फैला सकता है।

आध्यात्मिक शिक्षा और मठ के महत्व पर प्रकाश : द्रेपुंग मठ, तिब्बती बौद्ध धर्म की गेलुग परंपरा का एक प्रमुख केंद्र है और इसकी स्थापना 1416 ईस्वी में महान संत जम्यांग चोजे ताशी पालडेन ने की थी। यह मठ न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का केंद्र है, बल्कि बौद्ध दर्शन, तर्कशास्त्र और ध्यान की गहन शिक्षा प्रदान करने वाला प्रमुख संस्थान भी है।

लिंग रिनपोछे ने अपने प्रवचन में मठ के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व को दोहराया और भिक्षु समुदाय को धर्म, अध्ययन और साधना के मार्ग पर दृढ़ रहने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बल दिया कि संघ (भिक्षु समुदाय) का अस्तित्व मानवता की भलाई और बौद्ध शिक्षाओं के संरक्षण के लिए अत्यंत आवश्यक है।

समारोह का समापन और भविष्य की आशाएँ : इस महत्वपूर्ण अवसर का समापन सामूहिक प्रार्थना और भिक्षुओं द्वारा दी गई शुभकामनाओं के साथ हुआ। लिंग रिनपोछे की यह यात्रा पूरे मठ समुदाय के लिए अत्यंत सौभाग्यशाली मानी जा रही है और उनके मार्गदर्शन से सभी को गहन आध्यात्मिक प्रेरणा प्राप्त हुई।

इस भव्य आयोजन ने न केवल द्रेपुंग मठ बल्कि संपूर्ण बौद्ध समुदाय में धार्मिक चेतना, आत्मनिरीक्षण और आध्यात्मिकता के प्रति निष्ठा को और अधिक प्रबल कर दिया। इस शुभ यात्रा से प्रेरित होकर मठ में आगामी समय में विभिन्न धार्मिक प्रवचन, ध्यान साधना और शिक्षण सत्रों का आयोजन किया जाएगा, जिससे श्रद्धालु लाभान्वित हो सकें।

  • विशेष संवाददाता, द्रेपुंग मठ

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