आयकर विभाग की ओर से सख्ती लगातार बढ़ाई जा रही है। आयकर विभाग ऐसे लोगों पर नजर गड़ाए हुए हैं जो लोग टैक्स (Income Tax) के दायरे में तो आते हैं, लेकिन टैक्स भर नहीं रहे। आयकर विभाग की तरफ से ऐसे लोगों को नोटिस भेजे जाते हैं, ताकि टैक्स की रिकवरी की जा सके। वहीं कुछ लोग आईटीआर (ITR) फाइल तो करते हैं, लेकिन कुछ गलतियां कर देते हैं और उनके पास नोटिस आ जाता है। आइए आपको बताते हैं 5 ऐसी ही गलतियों (income tax related 5 mistakes) के बारे में, जिसके लिए आपको भी आयकर विभाग का नोटिस (Income Tax Notice) झेलना पड़ सकता है।
सबसे जरूरी है कि आप इनकम टैक्स रिटर्न समय से फाइल करें यानी आखिरी तारीख से पहले फाइल कर दें। इस बार ये तारीख 30 सितंबर है। जो लोग समय से आईटीआर फाइल नहीं करते हैं, उन्हें आयकर विभाग का नोटिस मिलना तय है। इस गलती से बचने का सिर्फ एक तरीका है कि आखिरी तारीख का इंतजार ना करें और जल्द से जल्द अपना आईटीआर फाइल कर दें। कई बार आखिरी तारीख में बहुत सारे लोग हो जाने के चलते वेबसाइट दिक्कत करने लगती है और आप चाहकर भी टैक्स नहीं भर पाते हैं।
अगर आपने आईटीआर फाइल करते समय गलत आईटीआर फॉर्म भर दिया तो भी आपको आयकर विभाग की तरफ से नोटिस आ सकता है। आपकी आय के स्रोत और अन्य कई वजहों के आधार पर ये तय किया जाता है कि कौन सा फॉर्म भरना है। जैसे नौकरी पेशा को आईटीआर-1 फॉर्म भरना होता है। इसी तरह बिजनस करने वाले या दूसरे तरीकों से पैसे कमाने वालों को अलग-अलग फॉर्म भरने होते हैं। आईटीआर फाइल करने से पहले किसी जानकार से पता कर लें कि आपको कौन सा फॉर्म भरना है। या फिर खुद ही इनकम टैक्स की जानकारी इंटरनेट से जुटा लें।
अगर आप जानबूझकर या गलती से भी अपनी आय के सभी स्रोत नहीं बताते हैं तो आपको आयकर विभाग का नोटिस आ सकता है। आपको खाते में जमा पैसों से ब्याज और घर से रेंट की भी कमाई होती है तो आपको ध्यान रखना होगा कि कौन-कौन से स्रोत से आपकी कमाई हो रही है। ये भी ध्यान रहे कि अगर किसी जानकारी का सही मिलान नहीं होता है तो स्क्रूटनी हो सकती है। इस मामले में आयकर विभाग के नोटिस से बचना है तो अपनी हर कमाई का स्रोत आपको पता होना चाहिए, क्योंकि अगर आप स्रोत नहीं बता पाते तो उसे काला धन माना जाएगा और उसी हिसाब से आप पर कार्रवाई भी होगी।
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अगर आप आईटीआर का ई-वेरिफिकेशन करवाने से चूक जाते हैं तो आपका आईटीआर अवैध हो जाता है। ऐसे में वह प्रोसेस नहीं हो पाता और आपको आयकर विभाग का नोटिस आ जाता है। यानी ऐसी स्थिति में यही माना जाता है कि आपने आईटीआर फाइल नहीं किया है। हर किसी को आयकर फाइल करने के बाद ई-वेरिफिकेशन के लिए 120 दिनों का वक्त दिया जाता है। अक्सर लोग इस वक्त को यूटिलाइज करना चाहते हैं, लेकिन फिर वेरिफिकेशन करवाना भूल जाते हैं। कोशिश करें कि आयकर रिटर्न फाइल करने के तुरंत बाद ही आधार ओटीपी के जरिए ई-वेरिफिकेशन भी करवा दें, जिसमें मुश्किल से चंद सेकेंड लगेंगे।
फॉर्म 26एएस के जरिए आपको पता चलता है कि आपकी तमाम आय स्रोतों पर कितना टैक्स लगा है। ये जानकारी आपके पैन के आधार पर मिलती है। ऐसे में आपको अपने फॉर्म 16 और फॉर्म 26एएस की तुलना करने की जरूरत होती है। मिलान ना होने पर आपको नोटिस आ सकता है। आईटीआर फाइल करने से पहले दोनों का मिलान कर लें और अगर कुछ कमी मिलती है तो चेक करें कि वह क्यों है और उसे सही कर के आईटीआर फाइल करें।