बांग्लादेश का फिर एक बार भारत विरोधी एजेंडा सामने आया है. बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख माेहम्मद यूनुस के हाल ही लिए फैसले ने ‘चिकन नेक’ में भारत की मुसीबतें बढ़ा दी है. यूनुस सरकार ने भारत की सीमा से लगे कुछ अहम इलाकों में पोर्ट और एयरबेस बनाने की जिम्मेदारी पाकिस्तान और चीन को दी है.
बीतें सप्ताह थाईलैंड में आयोजित BIMSTEC सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद भी यूनुस सरकार ने चीन और पाकिस्तान को रणनीतिक जगहों पर अहम प्रोजेक्ट सौंप दिए हैं.
यूनुस सरकार ने भारत के कोलकाता से सिर्फ 200 किमी दूर मोंगला पोर्ट के विस्तार की जिम्मेदारी चीन को दी है. अंतिरम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस के बीजिंग यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच इस पोर्ट को लेकर समझौता हुआ था. इस पोर्ट के डेवलपमेंट के लिए चीन ने बांग्लादेश को 400 मिलियन डॉलर (करीब 3,300 करोड़ रुपए) देने का करार किया है.
इसके अलावा बांग्लादेश लालमोनिरहाट जिले में एक सैन्य एयरबेस बना रही है. यह जगह भारत के ‘चिकन नेक’ यानी सिलीगुड़ी कॉरिडोर से महज 120 किमी दूर है. एयरबेस के लिए बांग्लादेशी पायलटों को पाकिस्तान भेजा जा रहा है ताकि वे पाकिस्तानी JF-17 फाइटर जेट्स उड़ाना सीख सकें.
बीतें 27 मार्च को बांग्लादेश ने 5 अधिकारियों को ट्रेनिंग के लिए भेजा है. बांग्लादेश को चीन पहले ही पनडुब्बी दे चुका है और अब वह बंगाल की खाड़ी में अपनी मौजूदगी और मजबूत कर रहा है. साथ ही पाकिस्तान के साथ मिलकर बांग्लादेश की ये सैन्य गतिविधियां भारत की परेशानी बढ़ा रही हैं.
सत्तारूढ़ यूनुस की पार्टी NCP अब खुलेआम भारत विरोधी बातें कर रही है. इसमें पार्टी के स्थापना दिवस पर पाकिस्तान के हाई कमिश्नर को बुलाना भी इसी एजेंडे का हिस्सा माना जा रहा है.
बता दें कि, अपनी चीन यात्रा के दौरान मोहम्मद यूनुस ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को ‘लैंड लॉक्ड’ (चारों ओर से जमीन से घिरे) कहा और कहा कि बांग्लादेश उनके लिए समुद्र तक पहुंच का इकलौता रास्ता है. यूनुस के इस बयान पर पूर्वोत्तर भारत के नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी.