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हैकर्स ने क्रिप्टो में मांगे हैं 200 करोड़ : 6 दिनों से ठप AIIMS का सर्वर : हेल्थ डेटा की सिक्योरिटी पर उठे सवाल

दिल्ली Published by: Paliwalwani Updated Wed, 30 Nov 2022 10:12 PM
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दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) का सर्वर सोमवार यानी लगातार 6 वें दिन भी डाउन रहा. जिसके चलते मरीजों को तमात दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, खबर आ रही है कि सर्वर को हाईजैक करने वाले हैकर्स ने राजधानी दिल्ली में स्थित एम्स में साइबर संकट खड़ा हो गया है. करीब एक हफ्ते से यहां का सर्वर डाउन है. एम्स का सर्वर कैसे हैक हुआ? इसकी जांच के लिए कई सुरक्षा एजेंसियां जुटी हुईं हैं. हालांकि, अब तक सर्वर ठीक नहीं हो पाया है. ऐसा भी कहा जा रहा है कि हैकर्स ने 200 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी है. हालांकि, पुलिस ने इससे इनकार किया है. एम्स का सर्वर हैक होने पर डेटा सिक्योरिटी पर भी सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि इसके सर्वर में नामचीन हस्तियों का डेटा मौजूद है. 

बताया जा रहा है कि हैकर्स ने यह मांग मेल के जरिए एम्स को भेजी है. साथ ही धमकी दी है कि उनकी मांग को पूरा न करने पर वो सर्वर को ठीक नहीं करेंगे और सर्वर डाउन ही रहेगा. दिल्ली पुलिस मामले की तफ्तीश में जुट गई है. पुलिस कड़ी से कड़ी जोड़कर हैकर्स के कॉलर तक पहुंचने में लगी है. साथ ही पुलिस धमकी भरे मेल का आईपी एड्रेस भी ट्रैक करने की कोशिश कर रही है. 

कर्मचारियों को पुराने जमाने की तरह मरीजों का काम करने के लिए कागज-कलम का सहारा लेना पड़ा. साइबर सुरक्षा हमले के डर के बीच सभी इमरजेंसी और सामान्य सेवाएं, प्रयोगशाला आदि का काम कागज-कलम की मदद से ही हो रहा है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी मोचन टीम, दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय के प्रतिनिधि लगातार इस मामले में काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) भी इस जांच में शामिल हो गया है.

AIIMS : कई सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित 

दिल्ली के एम्स का सर्वर अभी भी ठप पड़ा है. ई-हॉस्पिटल सर्वर डाउन होने के कारण ओपीडी सहित कई सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं. दरअसल साइबर हमले के बाद इसे हैक करने वालों ने 200 करोड़ के क्रिप्टोकरेंसी की मांग की है. बीते कुछ दिनों से लगातार कई खबरें सुर्खियों में रही है कि क्रिप्टोकरेंसी के नेटवर्क को भी हैक कर करोड़ों रुपए का गबन किया गया है. अब सवाल उठता है कि आखिर हैकर्स ने क्रिप्टोकरेंसी की मांग क्यों की?

क्रिप्टो करेंसी कैसे काम करती है?

आपको बता दें, क्रिप्टोकरेंसी या वर्चुअल करेंसी को डिजिटल करेंसी भी कहा जाता है, जिसे एन्क्रिप्शन टेक्नोलॉजी की सहायता से जनरेट किया जाता है और उसके बाद रेगुलेट भी किया जाता है. इस तरह की करेंसी को दुनिया के किसी भी केंद्रीय बैंक की ओर से मान्यता नहीं मिली हुई है ना ही यह किसी केंद्रीय बैंक की ओर से रेगुलेट होती है.

डॉलर की वैल्यू अमेरिकन इकोनॉमी से जुड़ा  

इस तरह की करेंसी पर किसी भी देश की मुहर भी नहीं लगी होती है. इसे एक उदाहरण से समझाने का प्रयास करते हैं, जिस तरह से गोल्ड और सिल्वर की अपनी एक कीमत होती है और इंटरनेशनल मार्केट के आधार पर इसकी कीमत में उतार चढ़ाव होता है. डॉलर की वैल्यू अमेरिकन इकोनॉमी से जुड़ा हुआ है. इसके विपरीत बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी की अपनी कोई वैल्यू नहीं होती है. इसका यूज सट्टे के लिए होता है और इसी के आधार पर इसके दाम में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है.

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