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दैनिक वेतन भोगी के मामले में 8 अगस्त को मंत्रालय में बैठक बुलाई !

भोपाल Published by: paliwal wani Updated Thu, 04 Aug 2016 03:52 PM
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 भोपाल। पालीवाल वाणी ब्यूरो-मध्यप्रदेश के लगभग 50 हजार दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को सरकार 15 अगस्त को न्यूनतम वेतनमान का तोहफा दे सकती है। न्यूनतम वेतन देने पर शासन स्तर पर सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। कैबिनेट में इस प्रस्ताव को जल्द ही रखा जाएगा। इनके वेतन से जुड़े मसले को लेकर वित्त विभाग ने 8 अगस्त को मंत्रालय में बैठक बुलाई है। सामान्य प्रशासन विभाग ने बुधवार को इस बारे में आदेश जारी किए हैं।

मुख्य सचिव अंटोनी डिसा की अध्यक्षता में प्रमुखों के साथ बैठक भी हो चुकी

इसके लिए पिछले सप्ताह मुख्य सचिव अंटोनी डिसा की अध्यक्षता में निर्माण विभाग के प्रमुखों के साथ बैठक भी हो चुकी है। बताया जा रहा है कि दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का पदनाम बदलने पर भी गंभीरता से विचार हो रहा है। इसके लिए विभागों से संभावित नाम भी मांगे गए हैं।

दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के भाग्य का फैसला 8 अगस्त को!

पीडब्ल्यूडी, पीएचई, जल संसाधन, आरईएस, वन समेत अन्य विभागों में कार्यरत हजारों दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के भाग्य का फैसला 8 अगस्त को हो सकता है। प्रदेश सरकार इन कर्मचारियों को रेगुलर करने के बारे में विचार कर रही हैं। 8 अगस्त को मंत्रालय में आयोजित होने जा रही बैठक में दैनिक वेतन भोगीयों के संबंध में एक बड़ा निर्णय हो सकता है।

दैवेभो के वेतनमान को लेकर मसौदा तैयार 

पालीवाल वाणी को नाम नहीं छपाने की शर्त पर बताया कि सरकार ने प्रदेश के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को रेगुलर करने की तैयारी लगभग पूर्ण कर ली है। इनके वेतन से जुड़े मसले को लेकर वित्त विभाग ने 8 अगस्त को मंत्रालय में बैठक बुलाई है। सामान्य प्रशासन विभाग ने बुधवार को इस बारे में आदेश जारी किए हैं। बैठक के मद्देनजर विभागों से इन कर्मचारियों की जानकारी मांगी गई है। बताया जा रहा है कि कोर्ट के रवैया को देखते हुए आदेश के मद्देनजर सरकार यह कवायद करने में कोई कसर बाकी नहीं रख रही है। पिछली सुनवाई में सरकार ने हलफनामा पेश किया था। इस सिलसिले में मुख्य सचिव अंटोनी डिसा ने भी पिछले हफ्ते बैठक ली थी। वित्त मंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक में दैवेभो के वेतनमान को लेकर मसौदा तैयार कियंा जाएगा। प्रदेश में पीडब्ल्यूडी, पीएचई, जल संसाधन, आरईएस,वन समेत अन्य विभागों के करीब 48000 हजार से ज्यादा कर्मचारी हैं।

न्यूनतम वेतनमान देकर नियमित कर्मचारी जैसी सुविधाएं देने का फैसला होगा

सूत्रों के मुताबिक दैनिक वेतनभोगियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में नियमितीकरण की मांग को लेकर याचिका दायर करने के बाद सरकार इस मुद्दे पर गंभीर हुई है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को नोटिस देकर रिपोर्ट मांगी थी। आनन-फानन में जल संसाधन, लोक निर्माण, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी और नगरीय विकास ने दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को रिक्त पदों पर नियमित करने की कार्रवाई की। इसके बाद भी प्रदेश में लगभग 50 हजार दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी हैं, जिन्हें नियमित करने के लिए विभागों के पास पद ही नहीं हैं। इस परिस्थिति को देखते हुए सरकार ने इन्हें न्यूनतम वेतनमान देकर नियमित कर्मचारी जैसी सुविधाएं देने का फैसला हो सकता है।

20 साल वालों को पहले मिलेगा मौका !

पालीवाल वाणी को नाम नहीं छपाने की शर्त पर बताया कि सरकार उन कर्मचारियों को पहले नियमितकरण का लाभ देगी जो जिनकी नौकरी के 20 साल हो गए हैं और संभाग में ऐसे कर्मचारियों की संख्या लगभग 10 हजार अनुमानित है। सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं है। दैनिक वेतन भोगियों को एक साथ लाभ नहीं देते हुए मामले को ओर झुलना चाहती है। ताकि वित्त प्रभार ज्यादा नहीं पडे़।

8 को देखो भाग्य किसके साथ !

भोपाल मंत्रालय में 8 अगस्त को बैठक आयोजित की गई। इसका फैसला क्या होता है इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है, लेकिन कोर्ट संबंधित मामले की याचिका लगी हुई है। किसी भी हालात में दैनिक वेतन भोेगी अपना हक लेकर रहेंगे।

हरिलाल सेन - संभागीय अध्यक्ष वन विभाग दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संघ

15 अगस्त तक नियमितीकरण किए जाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन अब 8 अगस्त को मंत्रालय में इसको लेकर बैठक आयोजित है। सरकार को बैठक में ही नियमितीकरण के आदेश जारी कर देना चाहिए।

संदीप शर्मा-उपाध्यक्ष मेडिकल दैनिक वेतनभोगी संघ

दैनिक वेतन के मामले में सरकार फंस चुकी है, उसी हर हाल में नियमित करना होगा, वरना बड़ा आंदोलन सरकार के खिलाफ किया जाएगा।

संतोष पालीवाल - सतना

सरकार सुप्रीम कोर्ट में उचित जबाव नहंी दे पा रही है, छोटे कर्मचारी का वेतन बढ़ने में गुना भाग हो रहा है, लेकिन खुद का वेतन बिना सुप्रीम कोर्ट के बढ़ा दिया ये बेमानी सहन नहीं करेंगे।

अब्दुल खलीद कुरैशी -भोपाल

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