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Karwa Chauth 2025 : करवाचौथ पर बन रहा है अशुभ योग, शाम 5:42 से पहले कर लें व्रत की पूजा, करवाचौथ का महत्व

ज्योतिषी Published by: paliwalwani Updated Wed, 08 Oct 2025 01:42 AM
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सुहागिनों का सबसे पवित्र व्रत करवाचौथ इस बार विशेष संयोग और अशुभ योग दोनों लेकर आ रहा है। इस साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवाचौथ का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन जहां सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। साथ ही व्यतिपात योग भी लगने वाला है, जिसे अशुभ माना गया है। इसलिए इस बार पूजा और व्रत का विधान निश्चित समय से पहले करना जरूरी है।

भृगु संहिता विशेषज्ञ पं. वेदमूर्ति शास्त्री के अनुसार करवाचौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना से रखती हैं। यह व्रत सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला रखा जाता है और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही जल ग्रहण किया जाता है।

करवाचौथ का महत्व

पौराणिक मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव की दीर्घायु के लिए और द्रौपदी ने अपने पतियों की सुरक्षा के लिए यह व्रत किया था। ऐसा कहा जाता है कि करवाचौथ का व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में प्रेम, सुख और सौभाग्य बढ़ता है। करवा माता अपने भक्तों के सुहाग की रक्षा करती हैं और उनके जीवन में समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

कब और कैसे करें करवाचौथ की पूजा

व्रत के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करती हैं और पूरे दिन बिना अन्न-जल के व्रत रखती हैं। शाम को सोलह श्रृंगार कर चौथ माता, करवा माता और भगवान गणेश की पूजा करती हैं। रात में चलनी की ओट से चंद्रमा का दर्शन कर अर्घ्य दिया जाता है और पति के हाथों जल ग्रहण कर व्रत खोला जाता है।

इस बार बन रहा है अशुभ “व्यतिपात योग”

ज्योतिष के अनुसार, इस वर्ष करवाचौथ पर शाम 5:42 बजे के बाद व्यतिपात योग शुरू हो जाएगा, जो अशुभ प्रभाव वाला माना जाता है। इसलिए महिलाएं इस योग से पहले ही पूजा का विधान पूरा कर लें।

ध्यान दें :

  • 5:42 बजे से पहले पूजा समाप्त कर लें।
  • इसके बाद केवल चंद्रमा को अर्घ्य और जल ग्रहण का विधान करें।
  • इस समय के बाद किए गए पूजन से व्रत का पुण्य घट सकता है।
  • करवाचौथ तिथि, नक्षत्र और चंद्रोदय का समय
  • तिथि प्रारंभ: 9 अक्टूबर 2025, रात 10:55 बजे
  • तिथि समाप्त: 10 अक्टूबर 2025, शाम 7:39 बजे
  • चंद्रोदय का समय: रात 8:03 बजे
  • कृत्तिका नक्षत्र: 9 अक्टूबर रात 8:03 से 10 अक्टूबर शाम 5:32 तक
  • रोहिणी नक्षत्र: 10 अक्टूबर शाम 5:32 से 11 अक्टूबर दोपहर 3:27 बजे तक
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