धर्मशास्त्र

हनुमान जन्मोत्सव : शंकर के 11वां रुद्रावतार मारुती का कैसा पड़ा हनुमान नाम? बड़ी रोचक है कहानी

Paliwalwani
हनुमान जन्मोत्सव : शंकर के 11वां रुद्रावतार मारुती का कैसा पड़ा हनुमान नाम? बड़ी रोचक है कहानी
हनुमान जन्मोत्सव : शंकर के 11वां रुद्रावतार मारुती का कैसा पड़ा हनुमान नाम? बड़ी रोचक है कहानी

हनुमान जन्मोत्सव पर भक्तों में एक खासा उत्साह देखा जाता है। हर साल चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस बार यह 6 अप्रैल को है। ऐसे में हम आपको हनुमान जी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं। जैसे बजरंगबली का नाम आखिर हनुमान कैसे पड़ा? इसके पीछे एक रोचक कहानी है।

ऐसे पड़ा मारुति का नाम हनुमान

हनुमान जी को शिवजी की 11वां रुद्रावतार माना जाता है। उनके कुल 108 नाम है। इसमें हनुमान और मारुति भी शामिल है। जन्म के समय उनका नाम मारुति हुआ करता था। ये नाम उन्हें उनकी माता अंजनि ने दिया था। उनके पिता का नाम वानरराज केसरी था। हनुमान जी जन्म से बड़े नटखट स्वभाव के थे। उन्हें खेलना कूदना और मस्ती करना बड़ा पसंद था। उन्हें खाने पीने का भी बड़ा शौक था।

हनुमान जी जब छोटे थे तो बचपन में एक दिन उन्हें बहुत तेज भूख लगी। ऐसे में वह खाने की तलाश में निकल पड़े। उन्हें दूर एक लाल रंग का गोला दिखाई दिया। वह उड़ते हुए इसके पास गए और गोले को अपने मुंह में निगल लिया। ऐसा करते ही पूरे संसार में अंधेरा छा गया। दरअसल उन्होंने सूर्यदेव को फल समझकर निगल लिया था। अब सभी देवी देवता मारुति के पास पहुंचे। उनसे सूर्यादेव को बाहर निकालने को कहा।

जब इन्द्रदेव ने तोड़ी मारुति की हनु (ठोड़ी)

हनुमान जी बाल हठ पर अड़े रहे। उन्होंने किसी की बात नहीं मानी। यह देख इन्द्रदेव को बड़ा गुस्सा आया। उन्होंने अपना वज्र उठाया और मारुति पर प्रहार कर दिया। इससे मारुति की हनु यानी ठोड़ी थोड़ी टूट गई, जिसके बाद से उनका नाम हनुमान (Lord Hanuman) पड़ गया। इस कहानी का जिक्र आपको हनुमान चालीसा में भी पढ़ने को मिलता है। तो इस तरह मारुति हनुमान बन गए।

वैसे हनुमान जी के मारुति के अलावा और भी कई नाम हैं। इनमें बजरंगबली, पवनपुत्र समेत 108 नाम शामिल हैं। आज हम इन सभी नामों पर एक नजर डालेंगे। आप चाहें तो अपने बच्चों का नामकरण भी इन नामों के आधार पर कर सकते हैं। यह 108 नाम इस प्रकार हैं।

हनुमान जी के 108 नाम (Hanuman 108 Names)

1.भीमसेन सहायकृते
2. कपीश्वराय
3. महाकायाय
4. कपिसेनानायक
5. कुमार ब्रह्मचारिणे
6. महाबलपराक्रमी
7. रामदूताय
8. वानराय
9. केसरी सुताय
10. शोक निवारणाय
11. अंजनागर्भसंभूताय
12. विभीषणप्रियाय
13. वज्रकायाय
14. रामभक्ताय
15. लंकापुरीविदाहक
16. सुग्रीव सचिवाय
17. पिंगलाक्षाय
18. हरिमर्कटमर्कटाय
19. रामकथालोलाय
20. सीतान्वेणकर्त्ता
21. वज्रनखाय
22. रुद्रवीर्य
23. वायु पुत्र
24. रामभक्त
25. वानरेश्वर
26. ब्रह्मचारी
27. आंजनेय
28. महावीर
29. हनुमत
30. मारुतात्मज
31. तत्वज्ञानप्रदाता
32. सीता मुद्राप्रदाता
33. अशोकवह्रिकक्षेत्रे
34. सर्वमायाविभंजन
35. सर्वबन्धविमोत्र
36. रक्षाविध्वंसकारी
37. परविद्यापरिहारी
38. परमशौर्यविनाशय
39. परमंत्र निराकर्त्रे
40. परयंत्र प्रभेदकाय
41. सर्वग्रह निवासिने
42. सर्वदु:खहराय
43. सर्वलोकचारिणे
44. मनोजवय
45. पारिजातमूलस्थाय
46. सर्वमूत्ररूपवते
47. सर्वतंत्ररूपिणे
48. सर्वयंत्रात्मकाय
49. सर्वरोगहराय
50. प्रभवे
51. सर्वविद्यासम्पत
52. भविष्य चतुरानन
53. रत्नकुण्डल पाहक
54. चंचलद्वाल
55. गंधर्वविद्यात्त्वज्ञ
56. कारागृहविमोक्त्री
57. सर्वबंधमोचकाय
58. सागरोत्तारकाय
59. प्रज्ञाय
60. प्रतापवते
61. बालार्कसदृशनाय
62. दशग्रीवकुलान्तक
63. लक्ष्मण प्राणदाता
64. महाद्युतये
65. चिरंजीवने
66. दैत्यविघातक
67. अक्षहन्त्रे
68. कालनाभाय
69. कांचनाभाय
70. पंचवक्त्राय
71. महातपसी
72. लंकिनीभंजन
73. श्रीमते
74. सिंहिकाप्राणहर्ता
75. लोकपूज्याय
76. धीराय
77. शूराय
78. दैत्यकुलान्तक
79. सुरारर्चित
80. महातेजस
81. रामचूड़ामणिप्रदाय
82. कामरूपिणे
83. मैनाकपूजिताय
84. मार्तण्डमण्डलाय
85. विनितेन्द्रिय
86. रामसुग्रीव सन्धात्रे
87. महारावण मर्दनाय
88. स्फटिकाभाय
89. वागधीक्षाय
90. नवव्याकृतपंडित
91. चतुर्बाहवे
92. दीनबन्धवे
93. महात्मने
94. भक्तवत्सलाय
95.अपराजित
96. शुचये
97. वाग्मिने
98. दृढ़व्रताय
99. कालनेमि प्रमथनाय
100. दान्ताय
101. शान्ताय
102. प्रसनात्मने
103. शतकण्ठमदापहते
104. योगिने
105. अनघ
106. अकाय
107. तत्त्वगम्य
108. लंकारि

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