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जैसे इंसान नहीं बेकाबू जानवर हो..बांधकर किया रेप फिर हत्या के बाद दबाया गला, कोर्ट ने कहा- दया नहीं दिखा सकते और दे दी फांसी की सजा

Pushplata
जैसे इंसान नहीं बेकाबू जानवर हो..बांधकर किया रेप फिर हत्या के बाद दबाया गला, कोर्ट ने कहा- दया नहीं दिखा सकते और दे दी फांसी की सजा
जैसे इंसान नहीं बेकाबू जानवर हो..बांधकर किया रेप फिर हत्या के बाद दबाया गला, कोर्ट ने कहा- दया नहीं दिखा सकते और दे दी फांसी की सजा

दिल्ली: उस मां का दुधमुंहा बच्चा पास में था। उसे देखकर कठोर व्यक्ति का भी दिल पसीज जाता, पर ये तीनों ऐसे न थे। इन्होंने महिला के पैरों को बांधकर उसके साथ रेप किया। स्क्रू ड्राइवर घोंपकर उसकी जान ली। मौत के बाद भी ये नहीं माने और चुन्नी से महिला का गला घोंटा। दो मासूम बच्चों की भी गला दबाकर हत्या कर दी... ऐसे निर्दयी लोगों पर अदालत दया नहीं दिखा सकती। यह कहते हुए दिल्ली की एक अदालत ने 20 सितंबर 2015 को पश्चिम दिल्ली में 27 साल की महिला से रेप और हत्या के मामले में दोषियों को मौत की सजा सुनाई। शाहिद, अकरम और रफत अली को अदालत ने फांसी पर लटकाए रखने का आदेश दिया है, जब तक इनकी जान नहीं चली जाती। इन दोषियों ने दोस्ताना संबंध के चलते बड़े आराम से महिला के घर में प्रवेश किया था और विश्वासघात कर अपराध को अंजाम दिया। जिसने भी यह दर्दनाक दास्तां सुनी, भीतर से हिल गया था। अब 8 साल बाद पीड़ित परिवार को इंसाफ मिला है।

"अगर कोई महिला घर में सेफ महसूस नहीं करेगी तो कहां करेगी। क्या बच्चे अपने ही घर, अपनी मां की गोद में सुरक्षित नहीं हैं? क्या हमारे चारों तरफ इंसान की शक्ल में जानवर हैं जो पुरुष सदस्य के न होने पर घर में घुसकर हत्या कर देते हैं।"

फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा

जैसे बेकाबू जानवर खेतों को रौंदता है

वो 21 सितंबर, 2015 की सुबह थी। 30 साल का एक शख्स मिठाइयों और फलों का थैला लेकर घर में घुसता है। वह जयपुर के साप्ताहिक कपड़ा बाजार से पश्चिमी दिल्ली के ख्याला में अपने घर लौटा था। घर में घुसते ही भयावह मंजर देखने को मिला। उसकी पत्नी खून से लथपथ बेजान पड़ी थी। 6 और 7 साल के दो बच्चों के शव पास में पड़े थे। 8 साल तक उसके जेहन में वो भयावह तस्वीरें कौंधती रहीं। अब उसे इंसाफ मिला जब दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट ने उसके परिवार के सदस्यों की हत्या करने वालों को मौत की सजा सुनाई। एडिशनल सेशंस जज आंचल ने कहा कि हत्यारों ने ऐसा व्यवहार किया जैसे कोई बेकाबू जानवर किसी किसान के लहलहाते खेतों को रौंद देता है।

लोन लेकर 8 साल तक लड़ा केस

मीडिया ने मृतक के पति से बात की। उन्होंने कहा कि इस घटना ने हमें बर्बाद कर दिया। मैं संडे मार्केट के लिए जयपुर गया था। मैंने अपने बच्चों के लिए फल और मिठाई खरीदी थी। मैंने कभी सोचा नहीं था कि एक दिन मुझे अपनी पत्नी और बच्चों के शवों को इस तरह देखना होगा। तीन अन्य बच्चों ने उनसे अपनी मां के बारे में पूछा और उनके लिए मौत के बारे में बता पाना काफी मुश्किल था। इन सबके बीच, उन्होंने इंसाफ की लड़ाई जारी रखी। उन्होंने बताया, 'मैंने इंसाफ के लिए अपनी लड़ाई जारी रखने के लिए लोन लिया। मैंने 150 से अधिक सुनवाई में भाग लिया। उन्होंने यह भी कहा कि आठ वर्षों के दौरान उन्हें धमकियां मिलीं, लेकिन वह कभी पीछे नहीं हटे। उन्होंने कहा कि उन लोगों ने मेरे बच्चों से उनकी मां छीनी है। मैं उन्हें इतनी आसानी से कैसे छोड़ दूं?

बच्चों से कहता था पैसे नहीं है

वह बताते हैं कि साप्ताहिक बाजार में पुराने कपड़े बेचकर जो कुछ भी कमाया, उसका ज्यादातर हिस्सा कानूनी लड़ाई में खर्च कर दिया। उन्होंने कहा, 'दूसरे बच्चों की तरह, मेरे बच्चे चॉकलेट और खिलौनों की मांग करते थे, लेकिन मुझे कहना पड़ता कि मेरे पास ज्यादा पैसे नहीं हैं।' तीन जीवित बच्चे आज 11, 10 और 9 साल के हैं।

अदालत ने एक मां की हत्या करने वाले तीन लोगों की क्रूरता को महसूस किया। उन्होंने उस महिला हत्या की थी, जिसे वे बहन कहते थे। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि पीड़िता पर एक बार ही नुकली चीज से वार किया गया था। फिर भी हत्यारे नहीं रुके। उसकी मौत के बाद भी चुनरी से उसका गला दबाया गया।

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