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लव जिहाद के खिलाफ पुरोला में होने वाली महापंचायत टली : छावनी बना इलाका

Paliwalwani
लव जिहाद के खिलाफ पुरोला में होने वाली महापंचायत टली : छावनी बना इलाका
लव जिहाद के खिलाफ पुरोला में होने वाली महापंचायत टली : छावनी बना इलाका

उत्तरकाशी :

  • पुरोला में वीरवार को होने वाली महापंचायत को लेकर पिछले कई दिनों से चल रहा गतिरोध फिलहाल खत्म हो गया है। सुप्रीम कोर्ट और नैनीताल हाई कोर्ट तक मामला पहुंचने के साथ ही प्रशासन की सख्ती के बाद आयोजकों ने महापंचायत स्थगित कर दी।

हालांकि, बजरंग दल के नगर अध्यक्ष रमेश थपलियाल ने आरोप लगाया कि प्रशासन की दमनकारी नीतियों के कारण उन्हें ऐसा करना पड़ रहा है। यह भी आरोप लगाया कि महापंचायत के संयोजकों को दिन में ही नजरबंद कर दिया गया था। कहा कि, आने वाले दिनों में महापंचायत का आयोजन किया जाएगा।

महापंचायत को देखते हुए सुरक्षा थी पुख्ता

महापंचायत टलने से सरकार और उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने राहत की सांस ली है। इससे पहले पुरोला में निषेधाज्ञा लागू करने के साथ ही पूरे क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। चार स्थानों पर नाकेबंदी कर महापंचायत करने आने वालों को रोकने का प्रबंध भी किया गया था। निषेधाज्ञा के विरोध में व्यापारियों ने अनिश्चितकालीन बाजार बंदी का ऐलान किया है।

मुस्लिम युवकों द्वारा नाबालिग को भगाने का था मामला

26 मई को पुरोला क्षेत्र की एक नाबालिग को भगाने के आरोप में मुस्लिम युवक और उसके दोस्त को पकड़े जाने के बाद से विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और स्थानीय व्यापारी मुस्लिम व्यापारियों के विरुद्ध मोर्चा खोले हुए हैं। उन्हें दुकानें खाली करने को कहा गया है। कुछ मुस्लिम व्यापारी अपना सामान समेट कर जा चुके हैं, जबकि कुछ की दुकानें अभी बंद हैं। इन्हें खाली कराने को लेकर वीरवार को महापंचायत आहूत की गई थी। इसको लेकर कई दिनों से गतिरोध बना हुआ है। इस बीच मुस्लिम संगठनों ने भी प्रतिक्रिया स्वरूप देहरादून में महापंचायत बुला ली थी। इस घटनाक्रम के चलते सरकार की परेशानी बढ़ गई थी।

बुधवार को यह मामला सुबह सुप्रीम कोर्ट और उसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट जा पहुंचा। ‘एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स’ की तरफ से अधिवक्ता एस. आलम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर महापंचायत पर रोक लगाने का अनुरोध किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया कि कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य की जिम्मेदारी है। हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई में समर्थ है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर याचिकाकर्ता ने नैनीताल हाईकोर्ट में दस्तक दी।

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