इंदौर

विवादास्पद मौर्या हिल्स की 133 एकड़ जमीन मे बड़े पैमाने पर खरीद फरोख्त जारी है..!

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विवादास्पद मौर्या हिल्स की 133 एकड़ जमीन मे बड़े पैमाने पर खरीद फरोख्त जारी है..!
विवादास्पद मौर्या हिल्स की 133 एकड़ जमीन मे बड़े पैमाने पर खरीद फरोख्त जारी है..!

इंदौर. (प्रदीप मिश्रा...) मुख्यमंत्री शिवराज जी मौर्या हिल्स की 133.30 एकड़ जमीन की जांच करवाए तो जमीन के सबसे बड़े घोटाले में शहर के कई रसूखदार और आला अधिकारी होंगे बेनकाब...! शहर में बंगाली चौराहे के आगे कनाडिया रोड पर स्थित मौर्या हिल्स जो ग्राम खजराना के पटवारी हल्का नंबर 30 के अंतर्गत, खसरा नंबर 1429/1 कुल रकबा 133.30 एकड़, 1950-51 के राजस्व रिकार्ड में खजराना जागीरदार श्रीमंत राजकन्या सावित्री बाई के स्वामित्व एवं आधिपत्य के अधीन निजी भूमि के रूप में दर्ज थी ! जिसे  बीजे कंपनी के तत्कालीन मालिकों ने फर्जी पॉवर ऑफ अटॉर्नी और कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर बीजे कंपनी के नाम से नामांतरण करवाकर अवैध रूप से सैंकड़ो लोगों को बेचने का अपराधिक कृत्य किया है ! और ये सब अवैधानिक कृत्य इंदौर जिला राजस्व कार्यालय के आला अधिकारियों, पटवारियों और तहसीलदारो के सामने और मिलीभगत से खुले आम हो रहा है ? अभी कुछ दिन पहले तकरीबन 1 लाख स्क्वेयर फीट जमीन इंदौर शहर के एक्रूएल रियलटीज प्राइवेट लिमिटेड जिसके डायरेक्टर श्री राजेन्द्र जैन, प्रीतीश जैन, आयुष जैन और कविन्द्र समवतसर है ! विजयश्री पॅके जिंग और विजयश्री पब्लिकेशन ग्रुप के राजेन्द्र जैन कई फ़ाइनेंस और रियल एस्टेट कंपनी के मालिक है ! सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक बड़े जिला अधिकारी का भी इनके ऊपर वरदहस्त है...! ? करोड़ों रुपये की इस जमीन के नामांतरण के लिए प्रकरण तहसील न्यायालय जूनी इंदौर में लगा हुआ है!

अप्रैल 2021 मे सोनल जैन पति पवन जैन निवासी 10 /2 कंचन एन्क्लेव न्यू पलासिया ने तकरीबन 16 हजार स्क्वेयर फीट जमीन खरीदी और जुलाई 2021 मे नामांतरण करवाया! गोपाल सारडा, नटवर सारडा, कल्याण मल लाखोटिया और वल्लभ मुंदड़ा ने अपनी पत्नियों के नाम जुलाई 2021 मे 15 हजार स्क्वेयर फीट जमीन नामांतरीत करवाई! इस तरह बीजे कंपनी के मुंबई और इंदौर में बैठे मालिक और उनके रिश्तेदार फर्जी, कूटरचित दस्तावेजों से प्राप्त अरबों खरबो की जमीन को सरकार मे बैठे आला अधिकारियों और उनसे पहुंच रखने वाले रसूखदार बड़े धनाढ्य व्यापारियों को बेच रहे हैं! वही दूसरी तरफ जमीन का असली मालिक थाने और बड़े अधिकारियों को इनके खि़लाफ़ एफ आई आर दर्ज कराने के लिए चक्कर काट रहा है...!? बात खरी...खरी है...मिर्ची लगना क्यों जरूरी नहीं हैं...सरकार भूमाफिया की बात करती है...फिर इन लोगों पर सख्त कार्यवाही क्यों की जा रही है...दुसरी तरफ आम नागरिक थानों के चक्कर लगाकर हार चुका हैं...उन्हें क्या मामा के राज में जीत मिलेगी...!

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