दिल्ली

गुरू माँ सरस्वती देवी के जन्मोत्सव पर 11 कुण्डीय यज्ञ संपन्न

paliwalwani
गुरू माँ सरस्वती देवी के जन्मोत्सव पर 11 कुण्डीय यज्ञ संपन्न
गुरू माँ सरस्वती देवी के जन्मोत्सव पर 11 कुण्डीय यज्ञ संपन्न

गुणों को धारण करने का नाम धर्म है : डा. जयेंन्द्र आचार्य

यज्ञ,योग एवं वेदों को अपनाकर प्रभु अनुभूति संभव : प्रवीण आर्य

नोएडा. आर्य समाज समर्पण शोध संस्थान साहिबाबाद के संयोजन में ब्रह्मा श्री सरस्वती देवी आदि शक्ति मठ्ठ,एस सी-4, सैक्टर 37, नोएडा में परम पूज्य मां ब्रह्म श्री सरस्वती देवी जी का जन्मोत्सव को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

इस शुभ अवसर पर मंदिर प्रांगण में मां दर्शन, पुष्पाभिषेक तथा विश्व एवं जन कल्याण हेतु 11 कुण्डीय महायज्ञ डा. जयेन्द्र आचार्य (कुलपति आर्ष गुरुकुल नोएडा) के ब्रह्मत्व में हर्षोल्लास से सम्पन्न हुआ।

मुख्य यज्ञमान श्रीमती पिंकी शर्मा एवं संजीव नायर तथा संदीप नायर सहित 44 यज्ञमान थे।यज्ञोपरांत आचार्य जी ने यज्ञमानों को आशीर्वाद एवं प्रभु से उनके सुख जीवन की कामना की।वेदपाठ आर्ष गुरुकुल के ब्रह्माचारिओं सचिन, विशाल, नन्द किशोर शास्त्री आदि द्वारा किया गया।

गुरु मां ब्रह्म श्री सरस्वती देवी के श्रद्धालुओं ने चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया गुरु मां ने सभी के लिए प्रभु से सुखद एवं मंगलमय जीवन की कामना की। सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक मास्टर विजेंद्र आर्य एवं प्रवीण आर्य के ईश्वर भक्ति के गीतों को सुनकर श्रोता मंत्र मुग्ध हो गए।

मुख्य वक्ता डा जयेन्द्र आचार्य ने गुरु मां के जन्मदिन पर बहुत ही सुंदर बधाई गीत सुनाया और अपने उद्बोधन में कहा कि अपने बारे में भी कभी-कभी सोचना चाहिए यह जीवन क्यों मिला है?इसका क्या उद्देश्य है? उन्होंने धर्म के रास्ते पर चलने की प्रेरणा दी।आचरण से जीवन बनता है सब के सब धार्मिक हो सकते हैं।

गुणों को धारण करने का नाम धर्म है। धर्म का संबंध गुणों को धारण करने से है।पंचमहायज्ञ का महत्व बताते हुए कहा कि ऊपर उठती अग्नि हमेशा ऊपर उठने का, आगे बढ़ने का संदेश देती है।हमें भी मर्यादा में रहकर आगे बढ़ना है। उन्होंने पहलगाम में घटी घटना पर दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि यह मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है।

मंच संचालक आर्य समाज समर्पण शोध संस्थान के यशस्वी मंत्री सुरेश आर्य ने कहा कि महर्षि पतंजलि ने ही अष्टांग योग की चर्चा की है।जो वास्तव में योग का आधार है।यम, नियम,आसन,प्राणायाम,प्रत्याहार, धारणा,ध्यान और समाधि।योग का मतलब केवल आसन करना नहीं है।मोक्ष को प्राप्त करना है।

उपनिषद के अनुसार पांचों ज्ञानेंद्रियों को मन के साथ स्थिर करने को योग कहा गया है।उन्होंने सभी को व्यवहार भानु सत्यार्थ प्रकाश एवं संस्कार विधि नि:शुल्क वितरित की।

व्यवस्थाक सर्वश्री संदीप जी,भारत भूषण मलिक (हैप्पी भाई) व विजय कपूर आदि ने मट्ठ की जानकारी दी और धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर खेमचंद शास्त्री, यज्ञवीर चौहान ने भी अपने विचार व्यक्त किये। मुख्य रूप से सर्वश्री देवेंद्र आर्य आर्य बंधु, के के यादव, आशा यादव, आदित्य आर्य, डा. प्रमोद सक्सेना आदि मौजूद रहे। शांति पाठ एवं प्रीतिभोज के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।

Praveen Arya-Media In-Charge

M. 9716950820, 9911404423

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