Friday, 14 November 2025

बॉलीवुड

जॉली एलएलबी 3 : व्यवस्था की परतें खोलती एक अनोखी कहानी

नैवेद्य पुरोहित
जॉली एलएलबी 3 : व्यवस्था की परतें खोलती एक अनोखी कहानी
जॉली एलएलबी 3 : व्यवस्था की परतें खोलती एक अनोखी कहानी
नैवेद्य पुरोहित
कोर्टरूम ड्रामा पर बनी फिल्मों में जॉली एलएलबी 3 अपने आप में अलग और नया अनुभव देती है। यह एक कॉमेडी या कोर्ट की लड़ाई नहीं, बल्कि व्यवस्था की परतें खोलती, सोचने पर मजबूर करती और किसानों की आवाज़ को बल देने वाली कहानी है।
फिल्म की शुरुआत हल्की-फुल्की नोकझोंक और दो वकीलों कानपुर वाले जगदीश्वर मिश्रा (जॉली 2) और दिल्ली के जगदीश त्यागी (जॉली 1) की खींचतान से होती है। लेकिन जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ता है, असली कहानी सामने आती है परसौल गांव के किसानों की ज़मीनें ‘बीकानेर टू बोस्टन’ नाम के प्रोजेक्ट के नाम पर छिनी जा रही हैं। यह प्रोजेक्ट बड़े उद्योगपति हरिभाई खेतान (गजराज राव) की इंपीरियल कंपनी का है। दोनों जॉली पहले एक-दूसरे के खिलाफ रहते है लेकिन फिर साथ खड़े होकर उस ताक़तवर उद्योगपति खेतान के घमंड को चुनौती देते हैं, जिसके पीछे सत्ता और प्रशासन की मिलीभगत है।
जज सुंदरलाल त्रिपाठी (सौरभ शुक्ला) का किरदार फिल्म की धड़कन है। संविधान पर उनका एक संवाद बड़ा गहरा है जब वो कहते है कि हमारे संविधान में दो चीज़ें हैं: लेटर और स्पिरिट। लिखा क्या है और उसके पीछे की भावना क्या है, यह समझना ज़रूरी है। कभी-कभी उस भावना को जानने की कोशिश करना पार्शियलिटी नहीं, न्याय होता है। यह संवाद सिर्फ़ कोर्ट ही नहीं, दर्शकों को भी सोचने पर मजबूर कर देता है कि न्याय का असली मतलब क्या है।
फिल्म का संदेश साफ है कि “When you eat today, thank a farmer.” यह एक पंक्ति ही पूरी कहानी का सार कह देती है। विकास की चमक-दमक के पीछे छिपे किसानों के दर्द को निर्देशक सुभाष कपूर ने बिना भारी-भरकम भाषण के बजाय हास्य और व्यंग्य के माध्यम से सामने रखा है।
सौरभ शुक्ला, अक्षय कुमार, अरशद वारसी, गजराज राव, राम कपूर, हुमा कुरैशी, अमृता राव समेत तमाम कलाकारों की अदाकारी अद्भुत है। सभी ने अपने किरदार को यादगार बना दिया है। गजराज राव का विलेन रूप काफी असरदार है। फिल्म में कुछ गानों की कमी खलती है क्योंकि पिछली जॉली एलएलबी 2 में 'बावरा मन' गाना काफी हिट हुआ था। हालांकि इस मूवी में भी एक गाना खूब लोकप्रिय हो रहा है, “भाई वकील है” जिसकी लाइन “कबीरा इस संसार में सबसे सुखी वकील, जीत गए तो मोटी फ़ीस हार गए तो अपील…भाई वकील है।” यह गाना फिल्म के टोन को पकड़ता है।
 
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