आपकी कलम

शर्मसार करता "माननीयों" का मौन : धन्नासेठों-नवधनाढ्य संभालो अपनी औलादों को...

नितिनमोहन शर्मा
शर्मसार करता "माननीयों" का मौन  : धन्नासेठों-नवधनाढ्य संभालो अपनी औलादों को...
शर्मसार करता "माननीयों" का मौन : धन्नासेठों-नवधनाढ्य संभालो अपनी औलादों को...

 शहर के सभी 9 विधायकों, 85 पार्षद, सांसद, मंत्रियो की खामोशी दुःखद

इंदौर में ड्रग वाली रेव पार्टियां, हैरत में डाल रही जनप्रतिनिधियों की चुप्पी 

"नशीला दौर-उड़ता इंदौर" जैसे शर्मनाक तमगे मिलने लगे हमारे आपके इंदौर को 

शहर के दूरदराज इलाको के फॉर्म हाउसेस बने अय्याशी का अड्डा, पुलिस कार्रवाई से हुआ ख़ुलासा 

रइसजादों की बिगड़ैल औलादों की नशाखोरी-अय्याशी बिगाड़ रही इंदौर की पहचान 

पब-बार से शूरू हुई गंदगी अब फार्म हाउस तक पहुँची, धन्नासेठों की औलादों पर कठोर कार्रवाई का इंतजार 

 नितिनमोहन शर्मा

 "नशीला इंदौर-उड़ता इंदौर"। जी हां, अब देवी अहिल्या की संस्कारित, उत्सवधर्मी नगरी इंदौर का देशभर में ये ही नाम चलन में आता जा रहा हैं। कभी " उड़ता पंजाब" पर ये शहर हैरत के साथ हंसता था। अब ये ही गंदगी इंदौर के माथे पर मलना शूरू हो गई है। पब-बार से शुरू हुआ ये ड्रग के साथ अय्याशी का दौर अब शहर के दूरदराज के फार्म हाउसेस तक जा पहुँचा हैं। इन फार्म हाउसेस में पुणे, मुम्बई व गोवा की तर्ज पर " रेव पार्टियां" होने लगी हैं।

इन पार्टियों में शराब, चरस, गांजे के साथ ड्रग का जमकर उपयोग हो रहा हैं। साथ मे कॉलगर्ल्स का उपयोग भी। हर शनिवार-रविवार को ये फार्म हाउस ऐसी रेव पार्टियों से आबाद हो रहे हैं। इसका ख़ुलासा पुलिस की ऐसी ही रेव पार्टी पर हुई कार्रवाई के बाद हुआ। मुम्बई-पुणे-गोवा की इस गंदगी के इंदौर में पसरने की इस खबर ने इंदौर औऱ इंदोरियो को अंदर तक हिलाकर रख दिया। लेकिन इस शहर का राजनैतिक नेतृत्व का इस गम्भीर मामले में मौन उससे भी ज्यादा हैरत में डाल रहा हैं। 

शहर के ये चुने हुए " माननीयों" का मौन आश्चर्यजनक हैं। ये शहर एक ही दल को लगातार चुन रहा हैं। दल भी वो जिसका नारा हैं- सांस्कृतिक राष्ट्रवाद। वो ही दल अहिल्यानगरी की तेजी से बिगड़ती सँस्कृति पर इतनी गहरी खामोशी में? ये चुप्पी इस शहर का एक तरह से अपमान ही हैं। क्योंकि इंदौर ने हाल ही में जिले की सभी 9 विधानसभा सीट पर इसी दल के सभी उम्मीदवारों को एक तरफा जीत दी।

इसके पहले नगर निगम में इसी दल को 85 में से 65 पार्षद इस शहर ने चुनकर दिए। कांग्रेस के पार्षदों की संख्या मिलाकर ये आंकड़ा 85 पार्षदों का हैं। हाल ही सांसद की झोली भी लाखों वोटों से भरी और देश की सबसे बड़ी जीत दी। शहर से दो दो मंत्री भी मनोनीत हुए हैं। इतना सब एक ही दल को देने के बाद भी इन्दौरी इन सब " माननीयों" की " मूकबधिरता" को झेलने को अभिशप्त हैं। 

इनमें से एक ने भी इन बदनाम रेव पार्टियों पर एक शब्द न बोला। न इस गंदगी के प्रति इनकी चिंता किसी प्लेटफार्म पर उज़ागर हुई। पत्र व्यवहार जैसी खानापूर्ति भी इन माननीयों की तरफ से नही हुई, जिन्हें 2 से 5 लोगो का स्टाफ इसी काम के लिए मिलता हैं। स्टाफ को ही कलम चलानी होती है और माननीयों को केवल " चिड़िया" बैठाना होती हैं। इतनी सी ज़हमत भी इन माननीयों ने नही उठाई और न उठाना जरूरी समझा। सब कलफ लगे कुर्ते पायजामे, ब्रांडेड शूज, साड़ियों व लक्ज़री कारो में सवार होकर आए दिन किसी न किसी समारोह में शामिल नजर आ रहें है लेकिन इन माननीयों को आंख के सामने शहर की दुर्गति नजर नही आ रही हैं। 

9 विधायक, 2 मंत्री, 1 सांसद, 85 पार्षद में से क्या किसी का दिल नही पसीजता? कोई गैरत नही जागती इन माननीयों की कि ये शहर हमे जीत का मुकुट पहना रहा है तो हमारा भी कोई फर्ज है इस शहर के प्रति, शहरवासियों के प्रति। इनमें से किसी ने भी अपनी मूकबधिरता नही छोड़ी। पक्ष तो दूर, विपक्ष भी अपना प्रतिनिधिमंडल लेकर जिम्मेदारों तक नही पहुँचा। आखिर ये माननीय किससे रिश्तेदारी निभा रहे हैं?

शहर से या रेव पार्टियों से? इंदौर से या ड्रग कारोबारियों से? पब- बार वालो से? या घर बैठे आ रही " आमद " से निभ रही है रिश्तेदारी? इस शहर के प्रति कोई जवाबदेही भी है कि नही इन माननीयों की? कुछ समझ ही नही आ रहा है कि जिस शहर के राजनीतिक नेतृत्व पर पूरा प्रदेश रश्क करता था, उसी शहर का नेतृव गूंगा हो गया। सरकार को " चिट्ठी-पत्री" लिखना तो दूर अफसरों को एक फोन तक नही लगा रहे शहर के जनप्रतिनिधि।_ 

क्या ऐसा वे अपने या अपने वालो के किसी निजी काम मे भी करते हैं? तब तो चिट्ठी लिखने से लेकर फोन तक झट से न केवल करते है बल्कि हिदायतें भी देते है कि ये काम हो जाना चाहिए। काम कर रिपोर्ट करने की भी सख्त ताकीद भी सम्बंधित अफसर-महकमे को झट से दी जाती हैं।

तो इस इंदौर और यहां के बाशिंदों ने आपका क्या बिगाड़ा है माननीयों? शहर में असांस्कृतिक प्रदूषण तेजी से फैलता जा रहा है और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का नारा बुलंद करने वाले खामोश हैं? ये खामोशी शहर में ड्रग का कारोबार बढ़ाने, रेव पार्टियों को आबाद करने और पब बार की गंदगी फैलाने में दिन दूनी मदद कर रही हैं। जनता के प्रतिनिधि होकर भी आमजन की इस बड़ी समस्या के प्रति आप लोगो की बेरुख़ी आपको शर्मसार भले ही नही कर रही लेकिन ये शहर आपकी मूकबधिरता पर शर्मसार है माननीयों। ये याद रखना। 

धन्नासेठों-नवधनाढ्य संभालो अपनी औलादों को... 

धन्नासेठों, संभालो अपनी औलादों को कि तुम्हे वक्त नही। तुम भी ऐसी किसी पार्टी में मशगूल है क्या? जरूर ही होंगे नही तो अधनंगे बदन की आपकी औलादें शहर के दूरदराज इलाको में बने फार्म हाउस में अय्याशी करने क्यो जाती? नाम मात्र के कपड़े में आपकी बेटी घर से आपकी नजरो के सामने ही तो निकली होगी न? सुबह तक आऊंगी बोलकर? आप पूछ भी नही पाए, न रोक पाए? क्यो? क्या ये काम भी इलाके की पुलिस आकर करेगी आपके घर? आप नैतिक रूप से ग़लत होंगे तब ही तो आप गलत काम के लिए रोक-टोक नही पा रहें।

रेव पार्टी में नशे में झूमती जो " विष कन्याए" गिरफ्त में आई, क्या वे आपकी कन्याए नही हैं? अगर होती तो आप उसे घर मे ही रोकते ओर टोकते कि ऐसी कौन सी पार्टी है जिसमे सुबह हो जाएगी?या आप धन्नासेठ भी सुबह ही घर पहुँच रहे हैं? जो भी हो आप सुन लो आपकी औलादें अपनी अय्याशी के लिए शहर की शालीन व सुसंस्कृत तासीर से खेल रही हैं ऒर इंदोरियो के धैर्य की परीक्षा ले रही है।

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