आपकी कलम
सुमित मिश्रा को बिन मांगी सलाह...
राजेश ज्वेल@ राजेश ज्वेल
सारे पैंतरे और राजनीतिक दांव-पेंच बाद इंदौर के शहर और ग्रामीण अध्यक्ष का निर्णय भाजपा ले सकी, जिसमें चिंटू वर्मा शहीद भये और श्रवण सिंह चावड़ा की लॉटरी खुली तो शहर अध्यक्ष के लिए ऐन वक्त पर सुमित मिश्रा बाजी मार गए, जो दादा दयालु के झंडाबरदार कहे जाते हैं...
इंदौर जैसे महत्वपूर्ण शहर की जिम्मेदारी मिलने पर अब सुमित मिश्रा को ना सिर्फ गंभीरता दिखानी होगी, बल्कि सभी गुटों को साधने और साथ लेकर चलने का हुनर भी... यह बात अलग है कि अपनी ताजपोशी के मददगारों की तरफ ही उनका पलड़ा ज्यादा झुकेगा...
मगर यह उनके राजनीतिक भविष्य के लिए बेहतर होगा कि वह समय आने पर शहर और पार्टी हित में अनैतिक कार्यों के लिए ना कहने की हिम्मत जुटा सकें... वैसे तो भाजपा के अधिकांश नेता धुरंधर वक्ता रहते हैं, उसी तरह सुमित भी वाद-विवाद प्रतियोगिताओं से निकले कुशल वक्ता हैं...
मगर उन्हें अपनी फिजूल की वाचालता पर भी काबू रखना होगा... जिस तरह गौरव रणदिवे ने नगर अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने के बाद अपने व्यक्तित्व में परिवर्तन किया और सभी को साथ लेकर चलने के साथ एक गरिमा स्थापित की, उसे अब और आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सुमित के कंधों पर है...
इंदौर चूंकि तमाम तरह के जादूगरों का भी शहर है, जिसमें शराब, जमीन, गुंडागर्दी से लेकर ऐसे तमाम कारोबार भी फलते-फूलते रहे हैं और इससे जुड़े लोग जिसका राज उसके पुत होते है...अखबार बांटने से अपने करियर की शुरुआत करने वाले सुमित को बधाई देने वाले लाखों रुपए के छपे अखबारी विज्ञापनों को अभी नजरअंदाज कर दिया जाए, क्योंकि यह आज की राजनीति की अनिवार्यता भी है...
मगर फिर भी सुमित को यह बिन मांगी सलाह है कि वह इस तरह का खर्चा करने वाले काले-पीले चेहरों से परहेज ही कर के चलें... पार्टी ने उन पर जो भरोसा जताया है , उसे अब जनता की अदालत में खरा साबित होना है और ये भी सुनिश्चित करना होगा कि जीतू यादव जैसी कोई नई बदरंग फिल्म शहर को न देखना पड़े...
बहरहाल, नए पद की शुभकामनाएँ .. बाबा महांकाल की कृपा बनी रहे.. जय श्री राम. @ राजेश ज्वेल