4 अक्टूबर 2022 दिन मंगलवार को पड़ रही है हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महानवमी कहते हैं इस दिन मां दुर्गा के नवम स्वरूप मां सिद्धिदात्री की विधि-विधान से पूजा की जाती है शास्त्रों में बताया गया है कि मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से भय, रोग और शोक खत्म होता है नवमी तिथि पर कन्या पूजन का भी विधान है.
राहुकाल- 03:07 PM से 04:35 PM
यमगण्ड- 09:13 AM से 10:41 AM
गुलिक काल- 12:10 PMसे 01:38 PM
दुर्मुहूर्त- 08:37 AM से 09:24 AM
कन्या पूजन के लिए नौ कन्याओं और एक लड़के को आमंत्रित करना चाहिए। नौ कन्याओं को मां का स्वरूप और लड़के को भैरव का स्वरूप मानकर पूजा करने का विधान है. यदि इस दिन नौ कन्याएं नहीं मिल पा रही हैं तो आप जितनी कन्याएं हैं उनका ही पूजन कर लें बाकी कन्याओं के हिस्से का भोजन गाय को खिला दें.
5 अक्टूबर 2022 को दशमी है, जिसे आम तौर पर दशहरा पर्व के नाम से जाता जाता है नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है सिद्धिदात्री देवी के नाम का अर्थ है वो देवी जो सिद्धि प्रदान करती है महानवमी के दिन पूरे विधि-विधान से मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है इस दिन हवन और कन्या पूजन के साथ ही पावन नवरात्रि का समापन हो जाता है नवरात्रि में महानवमी के दिन का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि आज के दिन मां दुर्गा की सच्चे मन से पूजा कि जाए तो सारे बिगड़े काम बन जाते हैं वहीं दूसरी यह भी कहा जाता है कि अनजाने या भूलवश इस दिन हमसे कुछ ऐसी गलतियाँ हो जाती हैं, जिनके चलते माता दुर्गा रूठ जाती हैं पं.संजय शास्त्री कुछ ऐसी ही सामान्य सी गलतियों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिन्हें हमें नवमी के दिन नहीं करना चाहिए.
महानवमी के दिन देर तक नहीं सोना चाहिए इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके माता रानी का पाठ करें यदि व्रत नहीं भी रखा है तो भी जल्दी स्नान करके पूजा अवश्य करें पूजा को सच्चे मन और श्रद्धा के साथ पूरे विधि विधान के साथ करें.
महानवमी के दिन काले रंग के कपड़े ना पहनें इस दिन बैंगनी या जामुनी रंग पहनना शुभ होता है यह रंग मां सिद्धिदात्री को प्रिय है इसलिए इसी रंग के कपड़े पहन कर मां की पूजा करें सम्भव हो सके तो अपनी पत्नी और बच्चों को भी इस रंग के कपड़े पहनाएँ और उन्हें भी पूजा भी जरूर शामिल करें सपरिवार माता रानी की पूजा करने से माता का आशीर्वाद पूरे परिवार को मिलता है.
मां सिद्धिदात्री की पूजा पूरे तन और मन के साथ करनी चाहिए पूजा की समाप्ति से पहले पूरे भक्तिभाव से दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करना चाहिए इस दौरान मन पूरी तरह से एकाग्रचित होना चाहिए मन में सिर्फ माता रानी का ख्याल और ध्यान आना चाहिए साथ पूजा करते वक्त किसी से किसी प्रकार की कोई बात न करें.
महानवमी के दिन हवन-पूजन जरूर करना चाहिए इसके बिना नवरात्रि के पूजा-पाठ अधूरे माने जाते हैं हवन के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखें कि हवन सामग्री कुंड के बाहर ना गिरे जितनी देर आप हवन करें हवन कुण्ड की अग्नि पूरी तरह से जलती रहनी चाहिए हवन करते समय बीच-बीच में हवन कुण्ड में काले तिल और घी डालते रहें जिससे अग्नि अच्छी से प्रज्ज्वलित हो सके
नवमी के दिन कोई भी नया काम करने की मनाही होती है मान्यताओं के मुताबिक नवमी खाली तिथि होती है मतलब यह है कि इस दिन किए गए कार्यों में सफलता नहीं मिलती है.