राजसमंद। भिक्षु बोधि स्थल राजनगर में मुनि जतनमल स्वामी लाडऩूं के सान्निध्य में एवं मुनि आनन्दकुमार कालू के दिशा-निर्देशन में को पंचमाचार्य मघवागणी का महाप्रयाण दिवस त्याग-तपस्या के साथ मनाया गया। साथ ही आज के दिन शासनश्री मुनि जतनमल स्वामी के 73वें दीक्षा दिवस पर शुभकामना अर्पित की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि जतनमल स्वामी के द्वारा महामंत्रोच्चारण के साथ हुआ। तत्पश्चात मुनि आनन्दकुमार ने श्रद्धा से नमन करें हम व लो बधाई दे रहा परिवार हो... सुमधुर ध्वनि के साथ गीत प्रस्तुत कर उपस्थित श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया।
समारोह में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए मुनि जतनमलजी स्वामी ने कहा कि आचार्य मघवागणी विलक्षण व्यक्तित्व के धनी थे। वे सतत, अप्रमत्त और स्थिर योगी थे, उनकी बुद्धि प्रखर थी। एक बार कंठस्थ किए हुए ग्रंथ को वे प्राय: भूलते नहीं थे। उनका व्यक्तित्व बालक की तरह सरल था। तेरापंथ में वे संस्कृत के प्रथम पंडित कहे जाते थे। साधुओं में भी वे सबके प्रिय और विश्वास पात्र थे। मुनि आनन्द कुमार ने कहा कि मघवा उस व्यक्तित्व का नाम है जो इन्द्र की तरह अनेक विभुताओं, प्रभुताओं से सम्पन्न था।
मघवा उस व्यक्तित्व का नाम है जो अपने जन्म के साथ उन सभी विशेषताओं को लेकर आया जो एक प्रभावक आचार्य के जीवन में होनी चाहिए। मुनि ने कहा कि साध्वी गुलाब जिनकी गले की नली से उतरता हुआ पानी ऐसे दिखाई देता था जैसे प्लास्टिक नली से दिखाई देता है। इस सौन्दर्य की प्रतिमा को कहीं नजर न लग जाए, इसलिए बहुत बार यात्रा में राख का प्रयोग करना पड़ता था। ऐसा सुनने में आता है मघवा उस व्यक्तित्व का नाम है जिन्हें किसी को दोष ठहराना भी सहज नहीं था। किसी उपालम्भ देना उनके लिए बडी बात थी। वे उपालम्भ के पूर्व यह कहते थे कि तुम गलती करते हो, इसलिए मुझे दण्ड देना पड़ता है। तुम जागरूक रहा करो ताकि मुझे कुछ कहना न पड़े वे इतने सरल थे। इस अवसर पर बोधि स्थल अध्यक्ष सुरेशचन्द्र कावडियां, उपाध्यक्ष अनिल कुमार बडोला, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष निर्मलादेवी चपलोत, पूर्व राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्या मंजु बडोला, कन्या मंडल प्रभारी लता मादरेचा, रेखादेवी बैद बीरगंज नेपाल कालू, पूर्व मंत्री मीनल कावडिया, तपस्विनी कैलाशदेवी मादरेचा, मंत्री हंसा मेहता ने भी पंचमाचार्य मघवागणी के व्यक्तित्व व कुतित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त किए।
राजसमंद। भिक्षु बोधि स्थल में आयोजित महाप्रयाण दिवस पर श्रावकों को प्रवचन देते मुनिप्रवर। फोटो-सुरेश भाट