राजसमंद। रक्षा बंधन भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक का पर्व है। भारतीय परम्परा में सभी रिश्तों के बंधन का मुल का कारण विश्वास है। भाई और बहन का रिश्ता मिश्री की तरह मधुर और मखमल की तरह मुलायम होता है। रक्षा बध्ंान का पर्व भाई-बहन के पावन रिश्ते को समर्पित है। यह विचार मुनि जतनमल स्वामी ने भिक्षु बोधि स्थल में भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक पर्व है रक्षा बंधन विषय पर आयोजित प्रवचन माला में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। मुनि ने कहा कि यह पर्व केवल रक्षासूत्र के रूप में रखी बांधकर रक्षा का वचन नहीं देता बल्कि प्रेम, समर्पण, निष्ठा व संकल्प के माध्यम से ह्रदय को बांधने का भी वचन देता है। रक्षा बंधन वर्तमान में मानव पर्व की पवित्र भावनाओं को भुलकर केवल लकीर को पीटता जा रहा है। बहन द्वारा भाई की कलाई पर राखी बांधना मात्र एक औपचारिकता रह गई है। भाई की सोच कीमती राखी पर तथा बहन की सोच धन पर अटक कर रह जाती है। प्राणी मात्र की रक्षा का संकल्प ही सच्चा रक्षा बंधन है, समाज में धागा बांधने की परम्परा का निर्वाह हो रहा है लेकिन रिश्तों का आत्मिय स्वरूप टूटता जा रहा है। इस अवसर पर सैंकड़ों श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित है।