सिंगरौली :
राष्ट्रीय रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री काउंसिल ( एन आर यू सी सी) रेल मंत्रालय के सदस्य श्री एस. के. गौतम ने बताया कि उनके अनुरोध पर सोनभद्र के सांसद श्री पकौड़ी लाल कोल ने प्रधानमंत्री को पत्र के माध्यम से एवं राज्यसभा सांसद श्री राम शकल ने रेल मंत्री को मिलकर पत्र सौंपकर तथा राज्यसभा में शून्यकाल में विशेष उल्लेख के तहत मुद्दा उठाकर चोपन-चुनार एकल रेलखंड का दोहरीकरण निर्माण कार्य शीघ्र कराए जाने की मांग की थी.
जिसके बाद रेल मंत्रालय ने दोहरी रेल लाइन बिछाए जाने हेतु अपनी स्वीकृति प्रदान कर नीति आयोग से भी स्वीकृति ले ली है तथा बजट वित्त वर्ष 2020-21 में 1080 (एक हजार अस्सी) करोड़ रुपए की स्वीकृत धनराशि जारी करने हेतु केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक समिति में प्रस्ताव भेजा है. जिसके शीघ्र ही स्वीकृत होने का उम्मीद है.
श्री गौतम ने बताया कि उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज के महाप्रबंधक श्री सतीश कुमार ने मुझे दूरभाष पर आश्वस्त किया है कि निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ कराए जाने की हमने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं तथा रेलखंड का फाइनल लोकेशन सर्वे कार्य पूर्ण कर रेल मंत्रालय में भेजा जा चुका है.
चोपन-चुनार कोयला व अन्य खनिजों की ढुलाई का प्रमुख रेल खण्ड एवँ कोल इंडिया कॉरिडोर है. तथा दोहरीकरण होने से नई दिल्ली-हावड़ा रेलखंड का एक वैकल्पिक रूट भी रेलवे को मिल जाएगा. जिससे उत्तर प्रदेश के आदिवासी अंचल सोनभद्र के साथ-साथ झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ राज्य की एक बड़ी आबादी भी लाभान्वित होगी और आदिवासी अंचल के लिए लाइफ लाइन का काम करेगी.
चोपन-चुनार एकल रेलखंड पर दोहरीकरण निर्माण कार्य पूरा होने से सड़क मार्ग की जगह रेलमार्ग से कोयले की ज्यादा से ज्यादा ढुलाई, पर्यावरण प्रदूषण से बचाव एवँ यात्री गाडियों का संचालन भी बढ़ेगा तथा रेलवे की आय में वृद्धि होगी. नॉर्दर्न कोल फ़ील्ड्स लि. सिंगरौली की कोयला खदानों से कोयला ढुलाई हेतु एक वैकल्पिक रेल मार्ग मिल जाएगा.
श्री गौतम ने बताया कि चोपन-चुनार एकल रेल खण्ड पर आधारभूत संरचना के निर्माण कार्य यानी सभी रेलवे स्टेशनों पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग स्वचालित सिग्नल प्रणाली, विश्वनाथपुरी हॉल्ट स्टेशन निर्माण तथा गति सीमा बढ़ाये जाने के रेलखंड के सभी निर्माण कार्य लगभग पूर्ण हो चुके हैं. चोपन चुनार एकल रेल लाइन को ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के न्यू डगमगपुर रेलवे स्टेशन (जिला मिज़ार्पुर) से लिंक कर दिया है, जिसके बाद मालगाड़ियों का संचालन को एक अलग मालभाड़ा वाहक रेल रूट मिल गया है.