नाथद्वारा । (नवीन...) पुष्टिमार्ग के 348 साल के इतिहास में इस साल पहली बार ऐसा होगा कि श्रीजी नगरी में दीवाली बिना रौनक में मनने जा रही है। कोरोना महामारी से उपजे संकट के बाद बने विकट हालात अब तक नही सुधरे नहीं है। बीते सात-आठ महीनों से श्रीजी नगरी का व्यापार जगत पूरी तरह से ठप्प पड़ा हुआ है। मार्च में मंदिर के पट बंद होने के बाद से ही श्रीजी नगरी की आर्थिक स्थिति पटरी से उतर गई थी जो आज तक फिर से पटरी पर नही आ पाई है। मार्च से लॉक डाउन लगने से व्यापार ठप्प हो गया था और मई से बरसाती नाले का काम शुरू होने से मंदिर के आस-पास के बाजारों में मानो ग्रहण लग गया था और ग्रहण भी ऐसा लगा कि अभी तक पूरी तरह से उभर नही पाया है। बरसाती नाले के बाद भूमिगत केबल के साथ अन्य विभागों की केबलो व लाईनो का काम शुरू हो गया था। इस कारण पूरे आठ महीने घर बैठे-बैठे ही बीत गए। ज्ञातव्य है कि श्रीजी मंदिर के आस-पास के सभी बाजारों में वैष्णवों से संबंधित मीनाकारी, पेटिंग, हेण्डीक्राफ्टस, राजस्थानी लहंगा व चोली, प्रसाद इत्यादि आईटम की दुकाने है।
वैष्णवो के आने से ही उनका व्यापार चलता है और अगर वैष्णव नहीं है तो व्यापार नहीं जैसे हालात बन जाते हैं मार्च से लेकर ठेठ अक्टूबर तक श्रीजी नगर में वैष्णवो की आवक बिल्कुल भी नहीं हुई है और 3 नवंबर 2020 से वैष्णव के लिए भले ही दर्शन खोले गए हो अगर वैष्णवो की आवक आशा अनुरूप नहीं हो रही है बाजार की हालत ऐसी हो गई है कि दुकानों पर एक ठेले की बोनी तक नहीं हो रही है, आपको बता दें कि श्रीजी नगरी में दिवाली, अन्नकूट, जन्माष्टमी के बढ़े जैसे बड़े पर्व और सीजन होते हैं कि इस दौरान भक्तों की इतनी भीड़ उमड़ती है कि श्रीजी नगरी पूरी ठस हो जाती है। हर साल दीवाली के बाद भाईदूज से लेकर अगले दो पखवाड़े तक वैष्णवों की आवक खूब होती है। इस दौरान का सीजन सालभर की दुकाने है। वैष्णवों के आने से ही कमी की पूर्ति कर देता है। मगर अबकी बार दीवाली बाद के सीजन पर भी करोना का खतरा मंडराता नजर आ रहा है व्यापारी दुकानों में माल भी नहीं भर पा रहे हैं क्योंकि पहले से सात आठ महीनों से धंधा ठप होने से आमदनी एक ठेले की नहीं हुई है और अब लाखों का माल पर दें और वैष्णव नहीं आए तो उस पूंजी का ब्याज चुकाना भी भारी पड़ने का डर पैदा हो रहा है हालत यह हो रही है कि माल भरना तो दूर की बात रही अबकी बार तो कई दुकानदारों ने दुकानों की सफाई तक नहीं की है
श्रीजी नगरी की दीवाली ऐसी अनूठी व अलौकिक होती है कि देश के कोने-कोने से वैष्णव व भक्त खिंचे चले आते है। दिवाली व खेखरे के दिन श्रीजी नगरी में गौशाला से सैकडों गौमाताओं को सजा-धजाकर लाया जाता है। इस दौरान मन्दिर के आस-पास बाजारों में गौ क्रीड़ा का अनूठा आयोजन होता है। गौ क्रीड़ा देखने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ती है। मंदिर के अन्दर भी कान्ह जगाई व गौवर्धन पूजा सहित अन्य परम्पराएं निभाई जाती है। दूसरे दिन रात को अन्नकूट लुट का अलौकिक आयोजन होता है। सैकडों आदिवासी श्रीजी प्रभु के मंदिर में आकर अन्नकूट लूटते है। इस दौरान भी भारी भीड़ उमड़ती है। दीवाली पर होने वाले आयोजनों को देखने के लिए श्रीजी नगरी का चप्पा-चप्पा भक्तों से अट जाता है। मगर अबकी बार ना तो गौ क्रीड़ा होगी और ना ही अन्नकूट लूट के दौरान भीड़ जमा होगी।कोरोना के कारण केवल मंदिर के अन्दर परम्पराएं निभाई जाएगी। बाहर होने वाले कोई भी आयोजन नही होगें। इस कारण भी अबकी बार श्रीजी नगरी की दीवाली बिना रौनक के मनने वाली है। बाजारों में भी अभी तक सन्नाटा ही पसरा हुआ है।
दीवाली के सीजन के दौरान हर साल श्रीजी नगरी में होटले, गेस्ट हाऊस व धर्मशालाएं आदि पहले से ही वैष्णव अग्रिम बुकिंग कराकर बुक कर लेते है। ऐनवक्त पर आने वाले वैष्णवों को ठहरने के लिए जगह भी नही मिलती है। मगर अबकी बार हालत ऐसी हो रही है कि श्रीजी नगरी की होटले, गेस्ट हाऊस, धर्मशालाएं खाली पड़े हुए है। हालात किस कदर विकट है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मंदिर मंडल ने तो वैष्णवों की आवक नही होने से सभी धर्मशालाएं व काटेजों पर ताले लटका रखे है केवल न्यूकाटेज, धीरजधाम, दिल्लीवाली धर्मशाला को ही खोल रखा है। वही निजी होटले भी बंद ही पड़ी हुई है। कुछ खुली हुई है मगर उनमें कुछेक को छोड़कर वैष्णव ही नही आ रहे है। संकट की इस घड़ी में निजी होटल वालों ने स्टाफ भी कम कर दिया है ताकि खर्चा तो कम हो। कमोबेश पूरे बाजार में ऐसे ही हालात बने हुये है।
● पालीवाल वाणी ब्यूरों-Devakishan Paliwal-Nanalal Joshi...✍️
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