सिंगरौली. बरगवां तहसील क्षेत्र के उज्जैनी गांव के एक आदिवासी परिवार भू-माफियाओं का शिकार हुआ है। आदिवासी के पट्टे की भूमि को फर्जी तरीके से एक जायसवाल परिवार ने अपने पत्नी के नाम खसरे में दर्ज करा लिया। शिकायत के बाद नायब तहसीलदार के यहां दिसम्बर महीने में प्रतिवेदन भी प्रस्तुत हुआ.
लेकिन तत्कालीन नायब तहसीलदार प्रतिवेदन को ठण्डेबस्ते में डाल दिया। हालांकि अब प्रभारी नायब तहसीलदार को कलेक्टर ने भू-अधीक्षक दफ्तर में अटैच कर दिया। दरअसल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ग्राम उज्जैनी के राजकुमार पनिका पिता सूर्यमणि पनिका ने पिछले वर्ष अक्टूबर महीने में कलेक्टर के यहां इस बात का लिखित शिकायत किया था कि आराजी नम्बर 1354 रकवा 1.41 हेक्टेयर यानी कुल साढ़े तीन एकड़ भूमि वर्ष 2007-08 से वर्ष 2016-17 बी-1 के खतौनी में भूमि स्वामी के रूप में लक्षनधारी, मुन्नीलाल पिता मुनिदेव पनिका गैर हकदार खसरे अभिलेख में दर्ज था।
किंतु इसके बाद वर्ष 2019 में उक्त आराजी के उक्त संपूर्ण रकवे की भूमि को गैर आदिवासी पिछड़ा वर्ग जहां कि म.प्र पिछड़ा वर्ग जाति फूलमति जायसवाल पिता पतिलाल के नाम दर्ज करा दिया गया है। उक्त भूमि स्वामी आदिवासी के साथ करीब पॉच साल पूर्व धोखाधड़ी भू-माफियाओं ने मिलकर किया है। उस दौरान के तत्कालीन के हल्का पटवारी ने बिना किसी सक्षम अधिकारी के आदेश से खसरे में आदिवासी की जमीन पिछड़ा वर्ग फूलमति के नाम खसरा अभिलेख में दर्ज करा दिया गया था।
शिकायत में राजकुमार ने यह भी आरोप लगाया था कि पिता के अलावा रिश्ते के फूूफा हीरामणि पनिका ने खसरा आराजी नम्बर 288 में 50 ढिसमिल क्रय किया था। भू-माफिया ने अपने दोस्त सिंहलाल अगरिया के नाम नामांतरण करवा दिया, लेकिन शिकायत कर्ता के पिता एवं फूफा की क्रय जमीन के आवेदन को खारिज करा दिया गया। कलेक्टर ने उक्त मामले की शिकायत की जांच बरगवां तहसीलदार को दिया था।
जहां पटवारी उज्जैनी ने वर्ष 10 दिसम्बर को तहसीलदार बरगवां के यहां विधिवत जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था। लेकिन जांच प्रतिवेदन के करीब पॉच महीने बाद भी तत्कालीन नायब तहसीलदार वृत्त उज्जैनी ने खसरे में कोई सुधार नही कराया। जबकि पटवारी ने सभी तथ्य व साक्ष्यों के साथ प्रभारी तहसीलदार के यहां प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था। प्रभारी नायब तहसीलदार ने आदिवासी के उक्त भूमि के मामले में नस्ती को ठण्डे बस्ते में क्यों डाला था।
अब इस बात को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। फिलहाल अब यह मामला तूल पकड़ लिया है और उस दौरान के तत्कालीन नायब तहसीलदार की संदिग्ध भूमिका भी सवालों के कटघर्रे में है।
बरगवां तहसील क्षेत्र के उज्जैनी वृत्त में भू-माफिया सक्रिय हैं। यहां कुछ चुनिन्दा भू-माफिया स्थानीय कथित राजस्व अधिकारियों के चहेते बने हुये हैं। चर्चाएं यहां तक हैं कि कोई राजस्व अमला भू-माफियाओं मन एवं मंशा मुताबिक कार्य नही करते हैं और उन्हें नसीहत देने का प्रयास करने लगते हैं, ऐसे में भू-माफिया सक्रिय होकर वरिष्ठ अधिकारियों के यहां झूठी शिकायते कराने लगते हैं। चर्चाएं यह भी है कि भू-माफिया का बरगवां अड्डा बना हुआ है।
जहां कुछ जिम्मेदार अधिकारी भी उन्हें के इसारे पर कार्य कर रहे थे। राजस्व विभाग के छोटे कर्मचारी गलत कार्य करने से मना करने लगे तो , भू-माफिया ऐसे कर्मचारी के खिलाफ सक्रिय हो जाते हैं।
करीब चार वर्ष पूर्व उज्जैनी हल्का में पदस्थ तत्कालीन पटवारी ने आदिवासी लक्षनधारी, मुन्नीलाल पति मुनिदेव पनिका के पट्टे की भूमि को फूलमति जायसवाल के नाम फर्जी तरीके से खसरे में दर्ज कर दिया था। पटवारी के जांच प्रतिवेदन में इस बात का जिक्र है कि बिना किसी सक्षम अधिकारी के आदेश/भू-ट्रांसेक्शन विवरण उपलब्ध नही है।
सूत्र बता रहे हैं कि उस दौरान के तत्कालीन पटवारी ने न्यायालय तहसीलदार के प्रकरण क्रमांक 0192/अ-19(4)/1992 एवं 93 दिनांक 4 सितम्बर 2019 के आदेशनुसार खसरे में लक्षनधारी बगैरह से फूलमति के नाम कर दिया। जबकि जांच प्रतिवेदन के अनुसार उक्त आदेश क्रमांक कही उपलब्ध नही है।