नितिनमोहन शर्मा...✍️
बेतहाशा महँगाई जैसे मुद्दे पर अपने ही दल की अगुवाई में होने जा रहे देशव्यापी आंदोलन के लिए भी कांग्रेस की सुस्ती है कि उड़ने का नाम ही नही ले रही। एक दिन बाद 4 सितंबर को दिल्ली में पार्टी इस मुद्दे पर भाजपा से दो दो हाथ करने का खम ठोक रही है। इधर इंदौर में दो दो लोग जुटाने में पार्टी को पसीना आ रहा है। 200 से ज्यादा नेताओ की जम्बो कार्यकारणी वाले शहर में पार्टी को 50 ऐसे ठोस नेता-कार्यकर्ता नही मिल रहे जो कन्फर्म कर सके कि दिल्ली प्रदर्शन में हम जाएंगे। इंदौर से रवानगी कल यानी 3 सितंबर को होना है लेकिन हालात ये है कि अभी तक पार्टी के बड़े नेताओं की सहमति भी शहर कांग्रेस तक नही पहुंची है। कार्यकर्ता जाना तो चाहते है लेकिन उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है कि जाना तो अपने हिसाब से व्यवस्था देख लो।
जबकि इस आंदोलन के लिए गांधी भवन में प्रभारी की मौजूदगी में बड़ी बैठक हुई थी। इसमे शहर-जिला अध्यक्ष, विधायको, विधानसभा प्रभारियों, मंडलम प्रमुख आदि के टारगेट तय हुए थे। अध्यक्षो को 25-25 ओर विधायको को कम से कम 50-50 लोगो के साथ दिल्ली में दस्तक देना है। अब 50 लोग तो दूर, अभी तो ये ही तय नही की माननीय विधायक महोदय भी जा रहे या नही? विधानसभाओं के उन प्रभारियों के भी हाल बेहाल है जो निगम चुनाव में तो समर्थकों के टिकिट के लिए अड़/झगड़ रहे थे लेकिन अब पार्टी के इस आंदोलन में प्रभारी ऐसे ख़ामोश है जैसे आंदोलन से उनका कोई लेना देना ही नही। मंचो पर आगे आगे 'ठसने' वाले भी नदारद है। गांधी भवन ने रस्म अदायगी के फोन जा रहे है कि आप चल रहे है न..?जवाब 24 घण्टे पहले भी नही मिल रहा। बल्कि कहा जा रहा है आज शाम तक बताते है। जो मुद्दा पार्टी को सत्ता में लोटा सकता है, उसको लेकर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का ये रवैया साफ बता रहा है कि हम सुधरने वाले नही...!!!
खुलासा फर्स्ट ने आज ये जानने की कोशिश की कि महंगाई जैसे मुद्दे पर कांग्रेस के दिल्ली में होने जा रहे बहुप्रचारित आंदोलन को लेकर पार्टी की इंदौर में क्या तैयारी है? उम्मीद थी कि सत्ता से दूर कांग्रेस, सत्ता के नजदीक वाले इस मुद्दे को लेकर ज़ोरदार तेयारी से लैस होंगी। ट्रेन नही तो कम से कम शहर से बसों को 4 पहिया वाहनों के काफिले जैसी कोई व्यवस्था होगी।
लेकिन हैरत हुई ये जानकर की दिल्ली रवाना होने के 24 घण्टे पहले तक पार्टी में ये तय नही की दिल्ली कितने लोग जाएंगे? कैसे जाएंगे? कौन कौन बड़े नेता जाएंगे? कितने कार्यकर्ताओ का रिजर्वेशन हुआ?
शहर कांग्रेस के दफ्तर से फोन लगाए जा रहे है। सहमति के लिए नगर इकाई मानमनोव्वल कर रही है लेकिन नेताओ में गुटबाजी इस कदर अब तक हावी है कि किसी भी बड़े नेता ने इस आंदोलन को सफल करने के लिए जमीन पर मेहनत की ही नही। न विधायको ने। न विधानसभा प्रभारियो ने। मंडलम अध्यक्ष भी बेदम।
पार्टी के एक पुराने नेता का कहना है कि ऐसा नही की इंदौर से जाने वाले कार्यकर्ता नही है। सेकड़ो की संख्या में जाने वाले जमीनी कार्यकर्ता है लेकिन उनको लेकर जाने वाला कोई नेता नही। सेवादल से जुड़े बुजुर्ग नेता तो इस बात से दुःखी नजर आए की जनता से जुड़े मुद्दे पर भी पार्टी नेताओं की ये उदासीनता झकझोर देती है। कोई भी बड़ा नेता जेब मे हाथ डालने को ही तैयार नही। अन्यथा शहर अध्यक्ष को आश्वस्त करते कि इतने लोगो का रिजर्वेशन करवा लो, हम लेकर जाएंगे। वे नेता भी अब नदारद है जो अपने "पट्ठो" की पार्षद टिकट के लिए गांधी भवन की सीढ़ियों पर चढ़ उतर रहे थे और वे पट्ठे भी गायब है जो पार्षद के दावेदार थे।
सूत्र बताते है कि इस आंदोलन में इंदौर से ज्यादा संख्या को लेकर बड़े नेताओं में दिलचस्पी इसलिए नही ली कि इसका श्रेय शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल के खाते में जायेगा। चूंकि अभी पार्टी में शहर अध्यक्ष पद पर बदलाव का माहौल बना हुआ और नेताओ को लग रहा है कि इस आंदोलन की असफलता इसमे निर्णायक काम करेगी। लिहाजा बड़े नेताओं में तो अपनी दिल्ली यात्रा हवाई जहाज के हवाले कर दिया है कि दिल्ली जाकर चेहरा ही तो दिखाना है। लेकिन मुसीबत उन जमीनी कार्यकर्ताओ की हो गई जो अपने बलबूते पर ट्रेन के जरिये पार्टी के इस आंदोलन में शामिल होने दिल्ली जा रहे है।
हम नियमित सबको फोन लगा रहे है। बड़े नेताओं की सहमति एक एक कर आ रही है। अब तक 63 लोगो ने दिल्ली जाने के लिए रजामंदी दी है। बस-ट्रेन की व्यवस्था नही की है। सब अपने अपने हिसाब से ही जायेंगे। रवानगी 3 सितंबर को होगी- जोहर मानपुरवाला, प्रवक्ता-शहर कांग्रेस