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इंदौर : गीता भवन में इस बार शकरगढ़ के आचार्य ब्रह्मचारी हंस चैतन्य महाराज का चातुर्मास

इंदौर Published by: sunil paliwal-Anil paliwal Updated Sun, 10 Jul 2022 01:59 AM
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 प्रतिदिन सुबह-शाम होगी प्रवचनों की अमृत वर्षा : गुरु पूर्णिमा पर स्वामी प्रणवानंद का होगा पाद पूजन

इंदौर : (Anil paliwal) मनोरमागंज स्थित गीता भवन पर इस बार भीलवाड़ा (राज.) के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी जगदीशपुरी महाराज के शिष्य ब्रह्मचारी हंस चैतन्य महाराज का चातुर्मास होगा। चातुर्मास का शुभारंभ 14 जुलाई 2022 को होगा और समापन 10 सितम्बर 2022 को। गुरू पूर्णिमा पर गीता भवन में महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती का पाद पूजन सुबह 10 बजे होगा। 

ब्रह्मचारी हंस चैतन्य महाराज 14 जुलाई से प्रतिदिन सुबह 9 से 10 बजे तक गीता पर एवं सायं 5.30 से 6.30 बजे तक उपनिषद पर अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगे। श्रावण में प्रत्येक सोमवार को सुबह 10.30 बजे से आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री के निर्देशन में रूद्रभिषेक भी होगा।

ट्रस्ट के अध्यक्ष राम ऐरन, मंत्री रामविलास राठी एवं कोषाध्यक्ष मनोहर बाहेती ने पालीवाल वाणी को बताया कि गुरू पूर्णिमा को महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती का पाद पूजन समारोह सुबह 10 बजे होगा। चातुर्मास का शुभारंभ 14 जुलाई को ब्रह्मचारी हंस चैतन्य महाराज के श्रीमुख से होगा। चातुर्मास के दौरान 24 जुलाई को कामदा एकादशी, 28 जुलाई को हरियाली अमावस्या, 4 अगस्त को तुलसीदास जयंती, 11 अगस्त को रक्षाबंधन, 12 अगस्त को सत्यनारायण व्रत, 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस, 19 अगस्त को जन्माष्टमी, 31 अगस्त को गणेश चतुर्थी, 3 सितम्बर को राधा अष्टमी, 9 सितम्बर को अनंत चतुर्दशी तथा 10 सितम्बर को चातुर्मास की पूर्णाहुति होगी।

स्वामी हंस चैतन्य का जीवन परिचय : ब्रह्मचारी हंस चैतन्य महाराज मात्र आठ वर्ष की आयु में घर छोड़कर सन 1998 में अमर ज्ञान निरंजनी आश्रम के संरक्षक प.पू. परमहंस स्वामी अमराव महाराज एवं आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी जगदीश पुरी महाराज के सानिध्य में आए और शकरगढ़ आश्रम में रहते हुए बाल्यकाल में ही साधू जीवन की शिक्षा दीक्षा प्राप्त की। वे सन 2006 में काशी में संस्कृत व्याकरण, सिद्धांत कौमुदी, वेदांत के प्रक्रिया ग्रंथों एवं प्रस्थानत्रय गीता, उपनिषद एवं ब्रह्मसूत्र का गहन अध्ययन करते हुए सम्पूर्णानंद संस्कृत वि.वि. से वेदांत के आचार्य की उपाधि प्राप्त की। अनेक शास्त्रार्थ सभाओं में वे प्रथम विजेता रहे। सन 2013 में काशी से शकरगढ़ आश्रम लौट आए और वर्तमान में सम्पूर्ण भारत वर्ष में गीता उपनिषद आदि ग्रंथों पर आधारित प्रवचन कर सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं। गीता भवन में चातुर्मास हेतु उनका यह प्रथम आगमन होगा।

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