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Indore news : एक्सपर्ट विनी झारिया ने बच्चो के सोशल एंजाइटी पर पेरेंट्स से चर्चा की

इंदौर Published by: sunil paliwal-Anil Bagora Updated Tue, 23 Apr 2024 07:58 PM
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बच्चो को कभी भी टीचर या स्कूल के नाम से ना डराएं इससे टीचर्स को इमोशनल बॉन्ड बनाने में दिक्कत आती है

इंदौर. 

बच्चो के सोशल एंजाइटी विषय पर क्रिएट स्टोरीज एनजीओ द्वारा महालक्ष्मी नगर स्थित यूसी किंडीज स्कूल में पेरेंट्स से साथ चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट एवं साइकोथेरेपिस्ट विनी झारिया ने परिचर्चा की.

एक्सपर्ट विनी झारिया ने बताया की जब बच्चा पहली बार स्कूल जाता है, तब वह उस माहौल को स्वीकार नहीं पता क्योंकि बच्चे को नही पता होता की वह कहा और क्यूं जा रहा है. इसलिए बच्चों को पहले से भी मेंटली प्रिपेयर करना शुरू करें. किसी विजुअल सीरीज के जरिए, कहानियों के जरिए, घर पर रोल प्ले करके स्कूल को समझाएं ताकि बच्चे को पता हो कि वो जहां जा रहा है, वहाँ क्या होता है और क्या गतिविधियां होती है, ताकि बच्चों में स्कूल जाने की जिज्ञासा पैदा हो.

शुरुवात में जब बच्चा पहली बार स्कूल जाता है, तो छोटे से शुरू करें यानी मान लीजिए बच्चे का स्कूल तीन घंटे का है तो एक एक घंटा भेजे और धीरे-धीरे समय बढ़ाएं ताकि वो चीजों को स्वीकारे और कंफर्टेबल होकर खुद एक्सेप्ट करें. एक्सपर्ट विनी झारिया एक अपनी परिचर्चा में एक बात कही जो सभी की लागू होती है की, एक इंसान को एंजाइटी तभी होती है, जब अनप्लांन्ड या अनियोजित चीज़ें होती है.

शुरुवात से ही पेरेंट्स एक बात का ध्यान रखें की बच्चो को कभी भी टीचर या स्कूल के नाम से ना डराएं, नही तो बच्चो के कोमल मन में यह बात बैठ जाती है की टीचर और स्कूल बच्चे के दुश्मन है , जो की गलत है इससे टीचर्स को दिक्कत आती है. बच्चो से इमोशनल बॉन्ड बनाने में पेरेंट्स बच्चो के सबसे अच्छे काउंसलर है एवं अगर वे अपने बच्चो की फीलिंग्स को सामने आने देंगे और समझेंगे तो शायद बाहरी काउंसलर की जरूरत नहीं पड़ेगी. बच्चो से उनकी फीलिंग्स की बात करें एवं उन्हें क्वांटिटी की जगह क्वालिटी समय देना शुरू करें.

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