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GST कलेक्शन में आया 12 फीसदी का उछाल, सरकारी खजाने में आए इतने लाख करोड़ रुपये

दिल्ली Published by: Paliwalwani Updated Mon, 03 Jul 2023 01:44 AM
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  • जून महीने का जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा आ गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार,  जीएसटी संग्रह जून में 12 प्रतिशत बढ़कर 1.61 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया। आपको बता दें कि यह चौथी बार है जब जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा 1.60 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है। जानकारों का कहना है कि सरकारी के लिए यह अच्छी खबर है। टैक्स कलेक्शन बढ़ने से सरकार विकास के कार्यों पर ज्यादा खर्च कर पाएगी। साथ ही जनकल्याणकारी योजनाओं पर भी आवंटन बढ़ेगा, जिससे आम लोगों को फायदा मिलेगा। 

छह साल पहले जीएसटी लागू हुआ था 

छह साल पहले एक जुलाई, 2017 को जीएसटी कर व्यवस्था लागू होने के बाद से सकल कर संग्रह चौथी बार 1.60 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। वित्त मंत्रालय ने कहा कि 2021-22, 2022-23 और 2023-24 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के लिए औसत मासिक सकल जीएसटी संग्रह क्रमशः 1.10 लाख करोड़ रुपये, 1.51 लाख करोड़ रुपये और 1.69 लाख करोड़ रुपये है। बयान में कहा गया कि जून 2023 में सकल जीएसटी राजस्व संग्रह 1,61,497 करोड़ रुपये है। इसमें केंद्रीय जीएसटी 31,013 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी 38,292 करोड़ रुपये, एकीकृत जीएसटी 80,292 करोड़ रुपये (माल के आयात पर एकत्र 39,035 करोड़ रुपये सहित) है। 

मई में यह 1.57 लाख करोड़ था

इसके अलावा उपकर 11,900 करोड़ रुपये (माल के आयात पर एकत्र 1,028 करोड़ रुपये सहित) है। राजस्व संग्रह जून 2023 में पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले 12 प्रतिशत अधिक है। समीक्षाधीन महीने के दौरान घरेलू लेनदेन (सेवाओं के आयात सहित) से राजस्व सालाना आधार पर 18 प्रतिशत अधिक रहा। इससे पहले अप्रैल में जीएसटी राजस्व संग्रह 1.87 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया था। मई में यह 1.57 लाख करोड़ रुपये था। 

कैट ने अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था की समीक्षा का आह्वान किया

व्यापारियों के संगठन कैट ने शनिवार को जीएसटी की नए सिरे से समीक्षा का आह्वान किया और कहा कि कानूनों की अधिकता को कम करने तथा अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के तहत व्यापारियों के नियमन एक विशेष कार्य बल का गठन करना चाहिए। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने देश में जीएसटी के कार्यान्वयन के छह साल पूरे होने को एक ऐतिहासिक सफलता बताया। जीएसटी व्यवस्था एक जुलाई, 2017 से लागू हुई थी। कैट ने हालांकि कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को सरलीकृत और तर्कसंगत कर प्रणाली बनाने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि मौजूदा विसंगतियों को दूर करके जीएसटी कर प्रणाली को स्थिर और अधिक सरल बनाया जाना चाहिए। उन्होंने इसके लिए एक विशेष कार्य बल के गठन का आह्वान किया, जिसमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के अलावा, व्यापारियों और उद्योग के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाना चाहिए।

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