S.P.MITTAL BLOGGER
किशनगढ़ :
विकास चौधरी और उनके समर्थक आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं। चौधरी ने 2018 में भी भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस की वजह से जाट समुदाय और निर्दलीय प्रत्याशी सुरेश टाक के कारण भाजपा के वोटों में विभाजन हो जाने से चौधरी करीब सात हजार मतों से हार गए।
2018 के चुनाव में भाजपा के बागी निर्दलीय उम्मीदवार सुरेश टाक को सर्वाधिक 82 हजार वोट मिले, जबकि निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के उम्मीदवार विकास चौधरी को 65 हजार 226 वोट प्राप्त हुए। तब यह दिलचस्प था कि कांग्रेस के पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया ने बागी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और 23 हजार मत प्राप्त किए।
जबकि कांग्रेस प्रत्याशी नंदराम थाकण को मात्र 15 हजार वोट मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई। विकास चौधरी के समर्थकों का मानना है कि सिनोदिया की उम्मीदवारी से यदि जाट समुदाय के मतों का विभाजन नहीं होता, तो चौधरी की जीत आसान होती। इसी प्रकार सुरेश टाक भी भाजपा के ही थे, इसलिए भाजपा के मतों का भी विभाजन हो गया।
लेकिन इसके बावजूद भी किशनगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों से विकास चौधरी को 20 हजार मतों की लीड मिली है। टाक की जीत का एक कारण शहरी मतदाताओं को एकजुट होना भी रहा। समर्थकों का कहना है कि चौधरी ने हार के बाद भी किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं से लगातार संपर्क बनाए रखा। इसी प्रकार भाजपा के सभी जन आंदोलन में भी चौधरी ने सक्रिय भूमिका निभाई।
वसुंधरा राजे हो या भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सभी के साथ चौधरी ने तालमेल बनाकर रखा। समर्थकों का कहना है कि चौधरी ने पांच वर्ष तक जो राजनीतिक सक्रियता दिखाई है उसकी वजह से इस बार भी किशनगढ़ से भाजपा का उम्मीदवार बनाया जाए। चौधरी न केवल युवा है, बल्कि हर समय मतदाताओं की सेवा में उपलब्ध रहते हैं। मोबाइल नंबर 9460784100 पर विकास चौधरी को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी जा सकती है।