नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। जस्टिस एस के कौल और जस्टिस अभय की पीठ ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए पूछा कि इससे कौन-सा मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है। ऐसी याचिकाएं क्यों दायर करते हैं, जिन पर हम जुर्माना लगाने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि क्या ये तय करना कोर्ट का काम है? सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल ने याचिकाकर्ता से पूछा कि इसमें किसके मूल अधिकारों का हनन हो रहा है, जो यह याचिका आर्टिकल 32 के तहत दाखिल की गई है। आप लोग ऐसी याचिकाएं क्यों दायर करते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस रुख के बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली है।
सुप्रीम कोर्ट में NGO गोवंश सेवा सदन ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग वाली याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने केंद्र को निर्देश देने की मांग की थी कि, गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कर दिया जाए।
आर्टिकल 32 संवैधानिक उपचारों का अधिकार है। आर्टिकल 32 एक मौलिक अधिकार है, जो भारत के प्रत्येक नागरिक को संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त अन्य मौलिक अधिकारों को लागू कराने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर करने का अधिकार देता है।
याचिकाकर्ता ने इन सवालों के जवाब में कहा कि हम चाहते हैं कि कोर्ट केंद्र सरकार को गायों की सुरक्षा के लिए निर्देश जारी करे. बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आपने संविधान के मौलिक अधिकारों के अनुच्छेद 32 के तहत इस याचिका को दायर किया है आप हमें बताएं कि यहां पर किसके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है.
याचिकाकर्ता के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि ऐसी याचिकाओं की वजह से ही कानून को हल्के में लिया जाता है. इन रिमॉर्क्स के बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली.