नई दिल्ली: बजट पेश होने में महज कुछ घंटे ही बचे हैं. कल 1 फरवरी को 11 बजे वित्त मंत्री बजट पेश करेंगी. वित्त वर्ष 2022-23 का आम बजट कोरोना महामारी से चरमराई अर्थव्ययस्था को सुधारने के लिए और आम लोगों के लिए उम्मीदों से भरा हो सकता है. इसी के साथ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बार टैक्सपेयर्स के लिए कुछ खास इंतजाम भी कर सकती हैं.
असेसमेंट ईयर 2021-22 में कुल 5.89 करोड़ टैक्सपेयर्स ने रिटर्न भरा है जिसमें सिर्फ 5लोगों ने ही न्यू टैक्स रिजीम को चुना. यानी नए टैक्स स्लैब को लेकर इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स ज्यादा खुश नहीं लग रहे हैं. दूसरी तरफ 5 राज्यों में चुनाव भी होने वाले हैं. ऐसे में, इस बार के बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन और होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट जैसे फायदे पुराने टैक्स रिजीम के साथ नए टैक्स रिजीम में भी जोड़ा जा सकता है. आइए देखते हैं टैक्सपेयर्स के लिए इस बजट में कौन-कौन से ऐलान हो सकते हैं.
इस बार की बजट से टैक्सपेयर्स को काफी उम्मीदें हैं. होम लोन से लेकर घर खरीदने पर प्रिंसिपल अकाउंट पर टैक्स छूट का फायदा सेक्शन 80C के तहत 1.50 लाख रुपये के निवेश पर पर मिलता है. लेकिन, टैक्सपेयर्स चाहते हैं कि प्रिंसिपल अकाउंट पर अलग से 1.50 लाख रुपये तक का सालाना डिडक्शन मिले.
पिछले साल महंगाई ने हर क्षेत्र में रिकॉर्ड बनाया है. पेट्रोल डीजल से लेकर खाने की कई चीजें बेहद महंगी हो चुकी है. ऐसे में टैक्सपेयर्स की डिमांड है कि इनकम टैक्स छूट की मौजूदा सीमा को 2.50 लाख रुपये से ऊपर बढ़ाई जाए. ताकि बढ़ती हुई महंगाई के बीच उन्हें थोड़ी राहत मिले.
इस बजट (Budget) में जीवन बीमा के प्रीमियम (LIC Premium) के भुगतान पर टैक्स कटौती के लिए अलग सेक्शन बनाने जाने की उम्मीद है. धारा 80C में फिलहाल सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF), इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) और राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र समेत कई निवेश विकल्प भी शामिल हैं. ऐसे में टर्म पॉलिसी (Term Policy) के लिए अलग से सेक्शन पर मंजूरी मिलती है तो बेहतर होगा.
उद्योग की नीति निर्माताओं से लोगों को बहुत समय से ये आशा है कि जीवन बीमा (Life Insurance) लेने के लिए प्रोत्साहित करने को लेकर धारा 80C के तहत बीमा प्रीमियम के भुगतान पर कम से कम 1 लाख रुपये की अलग से छूट दी जाए. अभी वित्तीय उत्पाद आयकर छूट की धारा (80C) के तहत (Investment Limit Under 80C) आती हैं और इसकी सीमा 1,50,000 रुपये है.
बजट 2022 में कोरोना महामारी के चलते मंदी की मार झेल रहे रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन सेक्टर को बूस्ट देने की तैयारी है. होम लोन पर मिलने वाली अतिरिक्त टैक्स छूट का दायरा बढ़ाया जा सकता है. इससे रियल एस्टेट (Real estate) सेक्टर में डिमांड लाने के लिए सरकार कदम उठा सकती है. सूत्रों का कहना है कि सरकार बजट 2022 में अफोर्डेबल हाउसिंग (Affordable Housing) के तहत पहली बार घर खरीदने वालों को ब्याज पर मिलने वाली 1.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त छूट को एक साल के लिए बढ़ा सकती है. बता दें, सेक्शन 80EEA के तहत 45 लाख रुपये तक के मकान पर 1.5 लाख रुपए की होम लोन के ब्याज चुकाने पर अतिरिक्त छूट मिलती है.
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) की इस बजट में सरकार से डिमांड है कि टैक्सपेयर्स को स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट बढ़ा कर राहत देना चाहिए. इनकम टैक्स के तहत अभी स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट 50 हजार रुपये है जिसे बढ़ाकर 1 लाख रुपये किया जाना चाहिए.
टैक्स सर्विसेज और फाइनेंशियल सर्विस देने वाली कंपनी Deloitte India ने इस बजट में यह डिमांड की है कि कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम अलाउंस दिया जाना चाहिए. इसे सीधे तौर पर अलाउंस नहीं दे सके तो टैक्स में छूट का प्रावधान करना चाहिए. Deloitte India की सलाह है कि जो कर्मचारी अपने घरों से काम कर रहे हैं उनको 50 हजार रुपए तक का वर्क फ्रॉम होम डिडक्शन दिया जाए.
वित्त मंत्री से लोगों की इस बजट में काफी उम्मीदें हैं. कर्मचारियों का मानना है कि इस बजट में वर्क फ्रॉम होम कल्चर को ध्यान में रखते हुए कोई विशेष छूट दी जाए. ऐसी कोई व्यवस्था होना जरूरी है जिससे एम्प्लॉई और एम्प्लॉयर दोनों को फायदा हो. वर्क फ्रॉम होम को ध्यान में रखकर स्टैंडर्ड डिडक्शन भी बढ़ाया जा सकता है.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 1 फरवरी 2020 को पेश किए बजट में टैक्सपेयर्स के लिए न्यू टैक्स रिजीम लागू किया गया था. नई टैक्स व्यवस्था से टैक्सपेयर्स को काफी फायदा हुआ है. लेकिन इस बार के रिटर्न फाइलिंग पर नजर डालें तो ज्यादातर लोगों ने इस नई व्यवस्था को बहुत ज्यादा रिस्पॉन्स नहीं दिया है.
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने टैक्स रिटर्न के डेटा को देखते हुए सर्वे किया है जिसमें नए टैक्स रिजीम (New Tax Regime) को लोग ज्यादा नहीं अपना रहे हैं. ऐसी स्थिति में इस बार नए टैक्स स्लैब में इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन और होम लोन ब्याज पर छूट जैसे कंपोनेंट जोड़े जा सकते हैं.