Sunil paliwal-Anil Bagora
भोपाल. भोपाल दुग्ध संघ द्वारा उपहार के रूप में 11 हजार नगद और साडी कपडा किए जाएंगे भेंट, दुग्ध उत्पादकों ने सराहनीय पहल बताते हुए कहा, हमारी बेटियों के परिवार का ‘‘सांची’’ से जनम-जनम का नाता जुड जाएगा.
भोपाल एमपी स्टेट को आपरेटिव डेयरी फेडरेशन का संचालन राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) द्वारा संभाले जाने के बाद दुग्ध उत्पादकों को दुग्ध संघ से जोड़े रखने के लिए नए-नए नवाचार किए जा रहे हैं. इसी क्रम में भोपाल दुग्ध संघ अपने सदस्य दुग्ध उत्पादकों की बेटियों के विवाह में मामा बनकर ‘‘मामा की चीकट’’ (मामा की ओर से भानजी को उपहार) भेजेगा.
इसके तहत 11 हजार रुपये नकद और साड़ी कपड़ा भेंट किए जाएंगे. दुग्ध उत्पादकों ने यह सराहनीय पहल बताते हुए कहा, हमारी बेटियों के परिवार का ‘‘सांची’’ से जनम-जनम का नाता भी जुड जाएगा.
मामा का चीकट का अर्थ है मामा का उपहार या मामा द्वारा दिया गया उपहार है, यह विशेष रूप से विवाह समारोहों में मामा द्वारा वधू या वर को दिया जाने वाला उपहार होता है, इसे मामा का मायरा, मामा का मामेरा या मामा का चीकट भी कहा जाता है. यह एक पारंपरिक रस्म है, जो विशेष रूप से विवाह जैसे शुभ अवसरों पर भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण मानी जाती है, यह उपहार न केवल भौतिक वस्तुओं का आदान-प्रदान है, बल्कि यह प्रेम, सम्मान, और पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने का प्रतीक भी है.
‘‘सांची’’ भोपाल दुग्ध संघ द्वारा अपने दुग्ध उत्पादकों की बेटियों के विवाह में ‘‘मामा का चीकट’’ यानि ‘‘मामा का उपहार’’ जहां दुग्ध उत्पादकों के परिवार से ही नहीं अपितु उनकी बेटियों के ससुराल से भी प्रेम, सम्मान और पारिवारिक संबंध मजबूत बनाकर रखने में कामयाब रहेगा. इसकी शुरुआत इस साल विवाह का मुहूर्त शुरू होने के साथ ही कर दी जाएगी.
हालांकि अभी इसकी शुरुआत भोपाल दुग्ध संघ से हो रही हैं. जल्द ही मध्य प्रदेश के सभी दुग्ध संघ ‘‘सांची’’ में यह परंपरा शुरू हो जाएगी.
दुग्ध उत्पादकों से हमारा रिश्ता केवल व्यावसायिक नहीं बल्कि भावनात्मक भी है. दुग्ध संघ पूरा एक परिवार है, इसलिए हम सभी एक दूसरे के साथ हमेशा खड़े रहेंगे.
भोपाल दुग्ध संघ, भोपाल मध्यप्रदेश