अतः इस वर्ष अमावस्या 31 अक्टूबर एवं 1 नवम्बर को दोनो दिन व्याप्त है, पहले दिन संपूर्ण प्रदोष काल में दूसरे दिन केवल 37 मिनिट ही व्यापत है, निर्णय सिंधु प्रथम परिच्छेद के पृष्ठ 26 के अनुसार जब तिथि दो दिन कर्मकाल मे विधमान हो तो निर्णय युग्मानुसार करे इस हेतु अमावस्या प्रतिपदा का युग्म शुभ माना गया हैं.
अर्थात अमावस्या को प्रतिपदा युक्ता ग्रहण करना महाफलदायी होता है, और लिखा है कि उल्टा होय, (अर्थात पहले दिन चतुर्दशी युक्ता अमावस्या ग्रहण की जाये ) तो महादोष होता है ओर पूर्व किये पुण्यो को नष्ट करता है । दीपावली निर्णय प्रकरण मे धर्म सिन्धु मे लेख है कि जहां सूर्योदय मे व्याप्त होकर अस्त् काल के उपरान्त एक घटिका से अधिक व्यापत होकर अमावस्या होवे तब संदेह नही है, तदनुसार 01 नवंबर 2024 को दूसरे दिन सिंधुकार आगे लिखते है कि निर्णय सिंधु के दीपावली महापर्व लक्ष्मी पूजन मुहूर्त योग
श्रीमहालक्ष्मी पूजन प्रदोष युक्त अमावस्या को स्थिर लग्न व स्थिर नवमांश में किया जाना श्रेष्ठ होता हैं, इस वर्ष कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी 31अक्टूबर गुरुवार को अपराह्न 03-53 बजे तक है उपरांत अमावस्या का शुभारंभ है इस दिन सूर्योदय सुबह 06-40 को एवं सूर्यास्त सांयकाल 05-40 पर होगा।
अमावस्या 1 नवंबर शुक्रवार को 18-17 बजे तक है, अतः इस वर्ष अमावस्या 31अक्टूबर एवं 1 नवम्बर को दोनो दिन व्याप्त है, पहले दिन संपूर्ण प्रदोष काल में दूसरे दिन केवल 37 मिनिट ही व्यापत है, निर्णय सिंधु प्रथम परिच्छेद के पृष्ठ 26 के अनुसार जब तिथि दो दिन कर्मकाल मे विधमान हो तो निर्णय युग्मानुसार करे इस हेतु अमावस्या प्रतिपदा का युग्म शुभ माना गया हैं अर्थात अमावस्या को प्रतिपदा युक्ता ग्रहण करना महाफलदायी होता है, और लिखा हे कि उल्टा होय, (अर्थात पहले दिन चतुर्दशी युक्ता अमावस्या ग्रहण की जाये) तो महादोष होता है ओर पुर्व किये पुण्यो को नष्ट करता है।
दीपावली निर्णय प्रकरण मे धर्म सिन्धु मे लेख है कि जहां सूर्योदय मे व्याप्त होकर अस्त् काल के उपरान्त एक घटिका से अधिक व्यापत होकर अमावस्या होवे तब संदेह नही है तदनुसार 01 नवंबर 2024 को दूसरे दिन सिंधुकार आगे लिखते हैं, निर्णय सिन्धु के द्वितीय परिच्छेद के पृष्ठ 300 लेख है कि यदि अमावस्या दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी होवे तो अमावस्या दुसरे दिन होती है तब प्रथम दिन छोडकर अगले दिन सुखदात्री होती है राजस्थान से प्रकाशित पंचांगों की बाहुल्यता अधिक है जिसमे दस पन्चाग एक नवम्बर शुक्रवार को दीपावली पूजन बता रहे है.
यही निर्णय पंचांगकारो ने श्रीकाची कामकोटि के जगदगुरू शंकराचार्य श्री शंकर विजयेंद्र सरस्वती महाराज के द्वारा दिनांक 10 व 11 अगस्त 2023 को वाराणासी मे आयोजित पंचांगकर्ताओं ने सर्व सम्मति से निर्णय लिया, जो 1 नवंबर शुक्रवार को प्रदोष व्यापिनी अमावस्या होने से इसी दिन दीपावली मनाई जाकर लक्ष्मी पूजन किया जायेगा, इस दिन सूर्यास्त 5-40 से रात्रि 8-16 बजे तक प्रदोष काल है, वृष लग्न रात्रि 06-29 बजे से 08-26 बजे तक है जिसमे प्रदोषकाल स्थिर वृष लग्न कुम्भ का नवमांश रात्रि 6-41बजे से 6-53 बजे तक रहेगा जो श्रेष्ठ समय है ।
मनु ज्योतिष एंव वास्तु शोद्य संस्थान टोंक के निदेशक महर्षि बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि निशिथ काल अर्द्धरात्रि 23-45 बजे से 24-37 बजे तक सिंह लग्न अर्द्धरात्रि 01-04 से अन्तरात्रि 27-19 तक श्रेष्ठ है, चोघडिया अनुसार सुबह चरका सूर्योदय से 08-03 बजे तक लाभ व अमृत का सुबह 08-03 से10-48 शुभ का दोपहर 12-10 से 13-32 तक चर का सांयकाल 04-18 से सूर्यास्त तक लाभ का चोघडिय़ा रात्रि 8-57 से रात्रि 10-34 तक शुभ अमृत चर के अर्द्धरात्रि बाद लाभ का मध्य रात्रि 12-10 बजे से अन्तरात्रि 05-02 बजे तक है, अभिजीत मुहूर्त दिन मे 11-48 से 12-34 तक है व्यापारी वर्ग के लिये धनु लग्न सुबह 10-07 बजे से 12-11 तक है कुम्भ लग्न दोपहर 01-55 से 03 -55 तक है ।
महर्षि बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि प्रदोष व्यापिनी तिथि अमावस्या शुक्रवार को सूर्यदेव स्वाति नक्षत्र स्वामी राहू तुला राशि स्वामी शुुक्र चन्द्रदेव स्वाति नक्षत्र स्वामी राहू तुला राशि स्वामी शुक्र, शुक्र देव ज्येष्ठा नक्षत्र स्वामी बुध राशि वृश्चिक स्वामी मंगल शनिदेव स्वराशि कुम्भ बुध विशाखा नक्षत्र वृश्चिक राशि मे स्वामी मंगल का गोचर मे उत्तम योग बन रहा है। कालपुरूष की कुंडली में सप्तम भाव तुला राशि शुक्र की हैं शुक्र सर्वभोगप्रद वीर्यतत्व प्रदान भौतिक सुखों का भोग कारक है राहू उच्च ख्याति आकस्मिक लाभ का कारक है ग्रहों का केन्द्र व त्रिकोण मधुर सम्बन्ध होने से विधा सुख संतान भोतिक सुखो धनकारक महालक्ष्मी योग बन रहा है, साथ ही स्वास्थ्य लाभ पराक्रम वृद्धि सर्व बाधा निवारण के योग बन रहे हैं।
मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोद्य संस्थान टोंक राजस्थान
मो 9413129502, 8233129502