लड़का या लड़की पैदा होना यह सब कुदरत का करिश्मा होता है परंतु हिंदुस्तान में आज भी कई परिवार में लड़का पैदा हो यह उम्मीद ज्यादा होती है। हालांकि अब समय कुछ बदला है और बेटियों को भी महत्त्व मिलने लगा है। अभी तक लड़कियां पैदा होने पर परिवार के लोग बहु को ही कोसते आए हैं और आदमी की दूसरी शादी कराने का भी विचार मन में ले आते हैं। अब वैज्ञानिक तौर पर यह बातें अच्छी तरह समझाई जा रही है कि महिलाओं में एक सरीके XX क्रोमोजोम होते हैं और पुरुष में दो तरह के Xऔर Y क्रोमोजोम होते हैं यदि दोनों के क्रोमोजोम अंडकोष में एक समान XX है तो लड़की पैदा होती है और यदि पुरुष का दूसरी तरह का Y क्रोमोजोम महिला के X क्रोमोजोम अंडकोष में जाता है तो लड़का पैदा होता है। पुराने जमाने से हमेशा महिलाओं को कोसा गया यह लड़का पैदा नहीं करती है जबकि यह पुरुष के ऊपर निर्भर होता है कि उसका कौन सा क्रोमोजोम महिला के अंडकोष में जाता है मजे की बात यह है कि पुरुष को भी नहीं पता होता कि कौन सा क्रोमोजोम डिलीवर हो रहा है। अतः महिलाओं को इस बात के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए। बहुत से परिवारों में आज भी लड़का पैदा हो उसके लिए जमाने भर के टोटके करते हैं और इस बात का कई नकली मक्कार लोग झूठे हवन पूजन, ताबीज या काला डोरा बांधकर पैसा लूटते हैं। लड़का हो या लड़की दोनों में खुशियां मनाओ क्योंकि यह कुदरत ने आपको उपहार दिया है।
अशोक मेहता- इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)