राम नाम की लूट है , तू भी जमकर लूट।
एक दिन पकड़ा जायेगा तेरा सारा झूठ।
तेरा सारा झूठ, राम को छल ना भाता,
रूप बदलना तुझको हर अवसर पर आता ।
घट -घट बस्ते राम देखते है सब लीला,
जनता की नजरो में है सब काला पीला।
एक तरफ कमजोर है,एक तरफ शह जोर,
सुन्न सपाटा इस तरफ उधर मचा है शोर।
उधर मचा है शोर भागते अवसर वादी,
सत्या गृही प्रतीक हो गई दूषित खादी।
जनता के दिमाग में बजने लग गई घंटी,
अब प्रणाम करने आयेगे चंन्टा , चन्टी।
"कवि"
पं.सत्यनारायण सत्तन