एप डाउनलोड करें

लेई मुंडो न परो जाऊँ : राजेन्द्र सनाढ्य राजन

आपकी कलम Published by: राजेन्द्र सनाढ्य राजन Updated Sat, 18 May 2024 11:14 PM
विज्ञापन
Follow Us
विज्ञापन

वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें

लेई मुंडो परो जाऊँ

तरकाळ गरमी मा कठी,

लेई मुंडो न परो जाऊँ, 

कणी ठंडा झरणां रे किनारे, 

चारा री झौपड़ी परी वणाऊँ।

ठंडो टीप पाणी पी-पी न, 

एकदम तरपत वेई जाऊँ, 

राग मा राग मलाई न म्हूँ, 

कोयल रे लारे गुण-गुणाऊँ। 

मरजी वे जतरी दाण म्हूँ, 

मळ-मळ न खूब हापड़ूँ, 

ऊँची चट्टान पे चढ़ न, 

गेरा पाणी मा गठीम्बा भीड़ूँ।

छायादार रूकड़ा रे नीचे, 

चौड़ों वेई न नीन्द काडूँ,

हंगळी चिंता छोड़ न, 

जोर-जोर ऊँ खल्डाटा छोड़ूँ। 

डाळ-पाक फळ खाई न, 

ओ मोटो पेट परो भरूँ, 

सूबे जट वेगो उठ न, 

भगवान री भगति परी करूँ। 

मात-भौम री गोद मा, 

म्हूँ खूब आनन्द पाऊँ, 

कणी माँई रे लाल ने, 

म्हारे लारे नी ले जाऊँ। 

जीव मा जीव आईजा,

पाछो सर जीवत वेई जाऊँ, 

जटा तक जीव नी भराई जा, 

राजन पाछो कदी नी आऊँ। 

राजन पाछो कदी नी आऊँ।। 

● राजेन्द्र सनाढ्य राजन

व्याख्याता- रा उ मा वि नमाना

नि-कोठारिया, जि-राजसमंद (राजस्थान) M. 9982980777

और पढ़ें...
विज्ञापन
Next