उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में एक सप्ताह में 100 लोगों की मौत से हड़कंप : अखिलेश ने साधा निशाना
Paliwalwani
उत्तर प्रदेश :
लखनऊ (Lucknow)। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बलिया (Ballia) के जिला अस्पताल (District Hospital) में बीते एक सप्ताह (one week) के दौरान 100 से ज्यादा लोगों की मौत (More than 100 people died) के मामले की जांच के लिए सरकार की तरफ से गठित निदेशक स्तर के दो अफसरों की टीम ने रविवार को मौके पर पहुंच कर जांच शुरू कर दी है।
उनकी जांच रिपोर्ट के आधार पर लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई तय मानी जा रही है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक (Deputy Chief Minister Brajesh Pathak) ने कहा, मौतों के जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस बीच इन मौतों को लेकर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने सरकार पर निशाना साधा है।
सरकार ने प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों और मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों को अलर्ट कर गर्मी से होने वाली बीमारियों के इलाज के लिए सारी व्यवस्थाएं चाकचौबंद रखने को कहा गया है। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक खुद गर्मी से होने वाली बीमारियों की निगरानी करने में जुटे हैं। प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य पार्थसारथी सेन शर्मा ने गर्मी से होने वाली बीमारियों के इलाज और जरूरी व्यवस्थाओं के लिए सभी जिलों को निर्देश जारी किए।
मौत का कारण हीट स्ट्रोक को नहीं कहा जा सकता
बलिया पहुंची समिति ने हीट स्ट्रोक से मौत के दावे पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि फिलहाल मौत का कारण हीट स्ट्रोक को नहीं कहा जा सकता। पांच दिन के अंदर जांच रिपोर्ट आएगी, तभी कुछ कहा जा सकता है। वहीं रविवार को भी भोर से शाम तक तीन मरीजों की मौत हो गई। टीम में शामिल निदेशक डॉ. एके सिंह, डॉ. केएन तिवारी ने अस्पताल में भर्ती 25 मरीजों के खून के साथ ही कोविड के नमूने लिए। मरने वालों में गड़वार व बांसडीह ब्लाक के ज्यादा लोग हैं।
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि बलिया जिला अस्पताल में मरीजों की मौत पर विवादित बयान देने वाले प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दिवाकर सिंह को हटा दिया गया है। उनकी जगह सर्जन डॉ. एके यादव काम देखेंगे।
अखिलेश ने साधा निशाना
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि गर्मी और हीटस्ट्रोक से बलिया में 24 घंटे में 36 मौतें होना दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है। अखिलेश यादव ने कहा कि अस्पतालों में गरीबों को इलाज नहीं मिलने के लिए सरकार जिम्मेदार है।