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DPS में फीस बढ़ोत्तरी पर बवाल: स्कूल ने 29 छात्रों को निकाला, नाराज पेरेंट्स ने किया प्रदर्शन
PALIWALWANI
दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) द्वारका में फीस बढ़ोत्तरी का मुद्दा गरमाता ही जा रहा है। मंगलवार की सुबह कैंपस के बाहर अराजकता का माहौल देखने को मिला। कई छात्रों को फीस न जमा करने के कारण एक बार फिर कैंपस में प्रवेश से वंचित कर दिया गया और गुस्साए बच्चों के पेरेंट्स ने गेट पर विरोध प्रदर्शन किया।
ये छात्र उन 29 छात्रों में शामिल हैं जिन्हें स्कूल ने कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए 9 मई को तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया था। जिसके बाद अभिभावकों ने स्कूल पर कथित तौर पर बच्चों के साथ गलत व्यवहार करने और पिछले महीने जारीहाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि गेट पर बाउंसर तैनात थे। अभिभावकों ने यह भी आरोप लगाया कि कई छात्रों को बिना किसी पूर्व सूचना के स्कूल बसों से घर वापस भेज दिया गया।
DPS: बच्चों को स्कूल से वापस भेजा घर
कक्षा 11 के एक छात्र के माता-पिता ने इस घटना को शर्मनाक बताया। माता-पिता ने दावा किया, “हम तब हैरान रह गए जब स्कूल ने हमारे बच्चों को जबरन बसों में चढ़ाया और बिना किसी बातचीत के उन्हें घर वापस भेज दिया। हमें कुछ समय तक उनके ठिकाने के बारे में पता ही नहीं चला। किसी भी तरह की संवेदनशीलता नहीं दिखाई गई।”
पेरेंट्स प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोत्तरी के विरोध में दिल्ली की सड़कों पर उतरे
पिछले कुछ दिनों में, सैकड़ों अभिभावक कई निजी स्कूलों में फीस वृद्धि के विरोध में दिल्ली की सड़कों पर उतर आए। डीपीएस द्वारका में फीस वृद्धि का मुद्दा लंबे समय से चल रहा है। अप्रैल में, जिला मजिस्ट्रेट (दक्षिण-पश्चिम) लक्ष्य सिंघल के नेतृत्व में आठ सदस्यीय निरीक्षण समिति ने स्कूलों में छात्रों के खिलाफ भेदभावपूर्ण व्यवहार की बात उठाई थी। कमेटी के अनुसार, उन्हें नियमित कक्षाओं में भाग लेने से रोक दिया गया था और लाइब्रेरी में बैठा दिया गया था, कैंटीन में उनका प्रवेश बैन कर दिया गया था, उन्हें साथियों से अलग रखा गया था और टॉइलेट जाने के दौरान गार्ड द्वारा उनकी कड़ी निगरानी की जाती थी।
इसके बाद दिल्ली मंत्रिमंडल ने एक ड्राफ्ट विधेयक-दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण एवं विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025 को मंजूरी दी। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने घोषणा की कि यह शहर के सभी निजी स्कूलों पर लागू होगा और स्कूल फीस निर्धारण के संबंध में पारदर्शी, सख्त और स्पष्ट प्रावधान लागू होगा।
स्कूल ने बच्चों को निकालने के पीछे बताया यह कारण
पिछले शुक्रवार को प्रभावित परिवारों को भेजे गए ईमेल में स्कूल ने निष्कासन को उचित ठहराने के लिए दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम और नियम (डीएसईएआर), 1973 के नियम 35 का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि छात्रों के नाम स्कूल फीस का भुगतान न करने के कारण काटे जा रहे हैं। वहीं, स्कूल के एक सूत्र ने बताया, “पिछले साल दिसंबर में अभिभावकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। 130 छात्रों से कुल 1 लाख रुपए से ज़्यादा की राशि बकाया है और पहले ही 6 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है क्योंकि कुछ छात्र 12वीं कक्षा पूरी कर चुके हैं। ऐसे मामलों में हम पैसे कैसे वसूल सकते हैं?”
अभिभावकों के दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए स्कूल के सूत्र ने उन्हें हाई कोर्ट के आदेश को गलत तरीके से पेश करने का दोषी ठहराया। सूत्र ने कहा, “आदेश इस बारे में है कि स्कूल के अंदर आने के बाद छात्रों के साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए – यह हमें डिफॉल्टरों को निकालने से नहीं रोकता है। एक बार जब किसी बच्चे का नाम रोल से हटा दिया जाता है, तो उसे प्रवेश से रोकना उल्लंघन नहीं है। बच्चे अपने माता-पिता और उसके इर्द-गिर्द की राजनीति के कारण पीड़ित हैं। हम स्कूल गेट के बाहर प्रदर्शन बर्दाश्त नहीं करेंगे।”