राजसमन्द
अखण्ड भारत संकल्प दिवस समारोह पूर्वक मनाया
Suresh Bhat...✍️राजसमंद। भारतीय संस्कृति अभ्युत्थान न्यास एवं सेठ रंगलाल कोठारी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय इकाई राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वावधान में अखण्ड भारत संकल्प दिवस समारोह पूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्या प्रमिला सारस्वत ने की। जबकि मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उदयपुर विभाग प्रचारक धनराज, मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जिला संघचालक फतहचन्द सामसुखा थे। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। प्राचार्या सारस्वत ने अपने स्वागत उद्धबोधन में कहा कि सैन्य सामथ्र्य भारत के पास बहुत है। लेकिन क्या पाकिस्तान पर जीत से अखंड भारत बन सकता है? जब लोगों में मनोमिलन होता है, तभी राष्ट्र बनता है। अखंडता का मार्ग सांस्कृतिक है, न की सैन्य कार्रवाई या आक्रमण है। मुख्य वक्ता धनराज ने संबोधित करते हुए कहा कि अखण्ड भारत महज सपना नहीं, श्रद्धा व निष्ठा है। जिन आंखों ने भारत को भूमि से अधिक माता के रूप में देखा हो, जो स्वयं को इसका पुत्र मानता हो, जो प्रात: उठकर समुद्रवसने देवी पर्वतस्तन मंडले विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यम् पादस्पर्शं क्षमस्वमे कहकर उसकी रज को माथे से लगाता हो, वन्देमातरम् जिनका राष्ट्रघोष और राष्ट्रगान हो, ऐसे असंख्य अंतरू करण मातृभूमि के विभाजन की वेदना को कैसे भूल सकते हैं। 15 अगस्त को हमें आजादी मिली और वर्षों की परतंत्रता की रात समाप्त हो गई। सातवीं से नवीं शताब्दी तक लगभग ढाई सौ साल तक अकेले संघर्ष करके हिन्दू अफगानिस्तान इस्लाम के पेट में समा गया हिमालय की गोद में बसे नेपाल, भूटान आदि जनपद अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण शत्रु विजय से बच गए। अपनी सांस्कृतिक अस्मिता की रक्षा के लिए उन्होंने राजनीतिक स्वतंत्रता का मार्ग अपनाया पर अब वह राजनीतिक स्वतंत्रता संस्कृति पर हावी हो गयी है। श्रीलंका पर पहले पुर्तगालए फिर हॉलैंड और अन्त में अंग्रेजों ने राज्य किया और उसे भारत से पूरी तरह अलग कर दिया किन्तु मुख्य प्रश्न तो भारत के सामने है तेरह सौ वर्ष से भारत की धरती पर जो वैचारिक संघर्ष चल रहा था, उसी की परिणति 1947 के विभाजन में हुई। इसे तो स्वीकार करना ही होगा कि भारत का विभाजन हिन्दू-मुस्लिम आधार पर हुआ पाकिस्तान ने अपने को इस्लामी देश घोषित किया। वहां से सभी हिन्दू-सिखों को बाहर खदेड़ दिया अब वहां हिन्दू-सिख जनसंख्या लगभग शून्य है। भारत की अखंडता का आधार भूगोल से ज्यादा संस्कृति और इतिहास में है। उद्धबोधन के बाद सामूहिक वंदेमातरम का गायन किया गया। अतिथियों एवं विद्यार्थियों द्वारा भारत माता की छवि के समक्ष पुष्प अर्पित किए गए। अपना संस्थान के माध्यम से अतिथियों और राष्ट्रीय सेवा योजना स्वयंसेवकों द्वारा महाविद्यालय परिसर में पौधरोपण किया किया। इस अवसर पर समाज के विभिन सामाजिक संगठनों के प्रमुख कार्यकर्ताओं के साथ महाविद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित थे।
फोटो-राजसमंद। अखण्ड भारत संकल्प दिवस समारोह में महाविद्यालय परिसर में पौधारोपण करते विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी।
पालीवाल वाणी समाचार पत्र ब्यूरो-Suresh Bhat...✍️
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