मध्य प्रदेश
संस्था शिवाशिष के तत्वावधान में नानीबाई का मायरा कथा का शुभारंभ
Rajesh Joshi, Raju Nagda Kanhakheda ... ✍️संसार सागर है और सागर का पानी खारा है-पं. शुभम दूबे
नीमच। प्रभु दर्शन की आस लिए हम दर-दर भटकते हैं। मंदिर-मंदिर जाते हैं, जबकि प्रभु तो हमारे दिल में बैठे हैं। कभी आखों को बंद कर मन मंदिर को टटोल को देखों प्रभु के दर्शन हो जाएंगे। प्रभु तो हमारें में मन में बसे हुए है और क्यों दर-दर भटक रहे हो। हातोद वाले पं. शुभम दूबे ने नानीबाई रो मायरो के पांडाल पर यह विचार व्यक्त किए। पं. शुभम दूबे संस्था शिवाशीष एवं मेनारिया समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष, इंदौर वाले श्री जसराज मेहता के तत्वावधान में शहर के वीर पार्क रोड़ स्थित माहेश्वरी भवन में आयोजित तीन दिवसीय नानीबाई का मायरा कथा के प्रथम दिन पांडाल में मौजूद श्रध्दालुओं को संबोधित कर रहे थे। पं. शुभम दूबे ने कहा कि संसार सागर है और सागर का पानी खारा है। उसी प्रकार संसार का प्रत्येक प्राणी खारा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आप किसी व्यक्ति को भोजन के लिए आमंत्रित करों और उसे कितने ही अच्छे व्यंजन, पकवान आदि खिला दों, पर अंत में जाते-जाते वह बोल ही जाता है कि सब्जी में थोड़ा नमक कम था। पं. शुभम दूबे ने कहा कि इसलिए संसार को सागर की संज्ञा दी गई है। जब तक मन की खार नहीं मिटाओंगे तब तक मन मंदिर में बैठे प्रभु के दर्शन दुर्लभ है, पर जिस दिन मन की खार मिट जाएगी, उस दिन कंकर में भी शंकर नजर आएंगे।
मुझे तो बस राधा-कृष्ण के दर्शन करना-नर्सी मेहता
प्रथम दिन कथा में पं. श्री दूबे ने नर्सी मेहता के जीवन का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि नर्सी मेहता जन्म से मूक-बधिर थे, जिन्हें उनकी भाभी ने बहुत प्रताड़ित किया, पर महादेव की कृपा से वे बोलने और सुनने लगे थे। पं. शुभम दूबे ने आगे कहा कि जब नर्सी मेहता स्वस्थ्य हो गए तो उनका विवाह हो गया, लेकिन मन में त्याग-तपस्या की भावना ऐसी जागी कि वे घर बार छोड़ महादेव की भक्ति में लग गए। जब नर्सी मेहता की भक्ति से प्रसन्न होकर महादेव ने उनसे पूछा की आपको क्या चाहिए। जिस पर नर्सी मेहता ने कहा कि मुझे तो बस राधा-कृष्ण के दर्शन करने हैं। कथा के दौरान पं. शुभम दूबे ने नर्सी मेहता के जीवन पर प्रकाश डालते हुए नर्सी मेहता प्रसंगों की वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप व्याख्या की। कथा के दौरान पं. शुभम दूबे ने मेरो प्यारा नंदलाल, किशोरी राधेश्याम....जीवन तो मैया एक रेल है। कभी पेसेंजर कभी मेल है...पायोजी मैंने राम रतन धन पायो आदि भजन सुनाकर कथा पांडाल में मौजूद श्रद्वालुओं को आनंदित कर दिया।
तीन दिवसीय कथा में कई श्रद्वालु मौजूद
तीन दिवसीय कथा दोपहर 12 से सायं 4 बजे प्रवाहित हुई और कथा शुभारंभ तथा समापन भगवान कृष्ण और पौथी आरती से हुआ। इस मौके पर सर्वश्री शिवाशीष संस्था के अध्यक्ष जयराज मेहता, उपाध्यक्ष प्रकाश नागदा, पृथ्वीराज मेनारिया, दशरथ मेनारिया, रितु नागदा, शिव माहेश्वरी, संस्था सचिव राजू नागदा, पालीवाल वाणी के प्रतिनिधि राजेश जोशी सहित कई श्रद्वालुजन मौजूद थे।
पालीवाल वाणी ब्यूरो-राजेश जोशी, राजू नागदा (कानाखेड़ा)...✍️
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