भोपाल
भाजपा बैठ कर तमाशा देख रही है : हाईकोर्ट ने-मंत्री की भाषा को गटर स्तर का बताया
paliwalwani
भोपाल. कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित बयान देकर पूरे देश में भाजपा की नाक कटवा चुके, विजय शाह को अभी भी अपनी गलती का एहसास नहीं है. जब भाजपा संगठन ने कोई सख्त एक्शन नहीं लिया, जबलपुर हाईकोर्ट ने उन पर एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए.
भाजपा संगठन के न चाहते हुए भी हाईकोर्ट के आदेश पर शाह के खिलाफ एफआईआर हो गई. शाह हाईकोर्ट के आदेश और टिप्पणी पर इतने बौखला गए कि वे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए.
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने कर्नल कुरैशी पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले का मीडिया की खबरों के आधार पर बुधवार को ही स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य के पुलिस महानिदेशक को मंत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था. पुलिस अधिकारी ने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश पर शाह के खिलाफ मानपुर पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है.
मंत्री विजय शाह के बयान को लेकर हाईकोर्ट ने ये कहा हाईकोर्ट ने पाया कि प्रथम दृष्टया भारतीय न्याय संहिता, 2023 (बीएनएस) के तहत मंत्री के खिलाफ अपराध सिद्ध होते हैं. भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 के तहत अपराध बनता है, जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को अपराध घोषित करता है. बीएनएस की धारा 192 के तहत भी प्रथम दृष्टया अपराध बनता है, जो धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा या जाति के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने से संबंधित है. हाईकोर्ट ने कहा कि इस्लाम धर्म को मानने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की बहन कहकर अपमानित करना उक्त धाराओं को आकर्षित करता है.
अवलोकन के आधार पर यह न्यायालय मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक को निर्देश देता है कि वे मंत्री विजय शाह के खिलाफ धारा 152, 196(1)(बी) और 197(1)(सी) के अंतर्गत अपराध के लिए तत्काल एफआईआर दर्ज करें. हाईकोर्ट ने मंत्री की भाषा को गटर स्तर का बताया था. शाह के बयान पर पूरे देश में हंगामा मच गया.
भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने उन्हें तलब कर फटकार भी लगाई, लेकिन कोई सख्त एक्शन लेने का फैसला नहीं हुआ. इधर, कांग्रेस सहित भाजपा के ही कई नेता लगातार शाह को मंत्रिमंडल से हटाने की मांग करते रहे. अगर शाह इस्तीफा देने पर राजी नहीं हैं, तो भाजपा संगठन उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त तो सकता ही था, लेकिन पता नहीं संगठन की क्या मजबूरी है कि कोई एक्शन लेने में संकोच किया गया.