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150 साल पुराना है बुढ़िया माई मंदिर का इतिहास, भक्तों की पूरी होती है मुराद

उत्तर प्रदेश Published by: Paliwalwani Updated Thu, 07 Apr 2022 11:09 AM
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गोरखपुर : कुशीनगर जिले के पडरौना नगर के गुदरी बाजार में स्थित बुढ़िया माई मंदिर क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है। हर वर्ष नवरात्र में यहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में दर्शन पूजन करने आते हैं। माता के दरबार में आने वाले भक्तों की मुराद पूरी होती है। इस मंदिर की दूरी जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर है। नगर के सुभाष चौक से आटो या ई-रिक्शा से मुख्य मार्ग होते हुए तिलक चौक, गुदरी बाजार मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

मंदिर का इतिहास :  मान्यता के अनुसार लगभग डेढ़ सौ साल पहले पडरौना के उत्तर तरफ घना जंगल था। यहां के लोग जंगली जानवरों से भयभीत रहते थे। एक दिन कुछ बुजुर्ग महिलाएं जंगल से सटे खाली भूमि पर गाय चरा रहीं थीं। उनके साथ बच्चे भी थे। शाम को महिलाएं घर चली आईं। एक बच्चा वहीं सो जाने की वजह से छूट गया। रात में बच्चे को न देख स्वजन परेशान हो उठे तलाश कर ही रहे थे तभी बच्चा घर आ गया। बच्चे ने बताया कि रात में एक बुढ़िया दादी ने जगाया और लेकर घर आईं। उसी रात बच्चे ने स्वप्न देखा कि उत्तर तरफ स्थित नीम के पेड़ के नीचे एक स्थान पर पूजन- अर्चन करने से घर में सुख-समृद्धि आएगी। सुबह बच्चे ने यह बात स्वजन को बताई। सभी लोग वहां पहुंचे और मां का पूजन- अर्चन किए। उसी समय से लोगों को जंगली जानवरों के आतंक से छुटकारा मिल गया।

सामान्य शैली :  मंदिर सामान्य शैली का है। मंदिर परिसर में भगवान शिव व हनुमानजी का भव्य मंदिर है। पुजारी सच्चिदानंद शुक्ल ने बताया कि दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना मां अवश्य पूर्ण करतीं हैं। यहां आकर दर्शन मात्र से ही शारीरिक कष्ट दूर हो जाते हैं। श्रद्धालु इंद्रजीत मणि त्रिपाठी ने बताया कि मेरे परिवार के सभी लोग बुढ़िया माई के प्रति आस्था रखते हैं। मां की आराधना करने से परिवार सुखमय जीवनयापन कर रहा है। 

जागरण

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