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Amet news : बाल विवाह कर बचपन को खत्म करना बंद करे : बाल विवाह को जड़ से मिटाए

उज्जैन Published by: M. Ajnabee, Kishan paliwal Updated Tue, 27 Feb 2024 01:03 AM
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बाल विवाह की रोकथाम के लिए जतन संस्थान ने विधालयो में बालकों को किया जागरूक

● M. Ajnabee, Kishan paliwal

आमेट : जतन संस्थान राजसमन्द व कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन द्वारा जिले में बाल संरक्षण हेतु संचालित एक्सेस टू जस्टिस फेज -2 परियोजना द्वारा आमेट ब्लॉक की विभिन्न पंचायतो, विद्यालयों, गाँवों में बाल कि रोकथाम हेतु जागरूक कार्यक्रम आयोजित किए गए.

जिसमे राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, बिकावास पंचायत के सोडा की भागल, गज सिंह जी की भागल, गादरोला में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय घोसुंडी, भीलमगरा, लोढीयाना, दोवड़ा, डिंगरोल, देवली आदि गाँव में गावणियार थार लोक कलाकार समिति बीकानेर की टीम के साथ बाल विवाह पर कठपुतली व नुकड़ नाटक के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया.

कार्यक्रम प्रभारी जरीना बानू, नूरजहाँ बानू, भवानी सिंह रहे. जिसमे पपेट शो के माध्यम से ज्ञानी बाबा के द्वारा बच्चों के लिए शिक्षा क्यों जरुरी है, इसको लेकर चर्चा की गई. साथ ही बाल अधिकारों पर प्रकाश डाला गया. इसके बाद लोक कलाकार बीकानेर की टीम द्वारा बच्चो के साथ प्रश्नोत्तरी की गई और बालविवाह रुकवाने में बच्चे किस तरह अपना योगदान देकर स्वयं की व अपने साथी की किस प्रकार मदद कर सकते है.

वार्ड पंच अणछी देवी ने बताया कि बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है, जिसके कारण देश में हजारों बालक व बालिकाओं को समय के पूर्व ही पारिवारिक बंधनों में बांध कर माता पिता द्वारा उनके भविष्य से खिलवाड़ किया जाता है. उन्होंने ने नागरिकों से अपील की है कि वे अपने बच्चों का विवाह निर्धारित आयु पूर्ण करने के बाद ही करें. 

उन्होंने बताया कि पुत्री की शादी 18 वर्ष से कम उम्र में एवं पुत्र की शादी 21 वर्ष की आयु से कम उम्र में बिल्कुल न करें. प्रधानाचार्य मुकेश पोसवाल उन्होंने कहा कि बाल विवाह होने की जानकारी मिलते ही तत्काल उसकी सूचना चाइल्ड लाइन 1098, जिला प्रशासन को अवश्य दें. 

बाल विवाह अधिनियम के अंतर्गत बाल विवाह करवाने वाले वर-वधू दोनों पक्षों के माता पिता, भाई बहन, अन्य पारिवारिक सदस्यों, विवाह करवाने वाले पंडित अथवा अन्य धर्मगुरू, विवाह में शामिल बाराती, बाजे वाले, घोड़े वाले, बाल विवाह से संबंधित विवाह पत्रिका छापने वाले प्रिटिंग प्रेस, हलवाई तथा बाल विवाह आयोजन से जुड़े सभी संबंधित व्यक्तियों पर कानूनी कार्यवाही की जाती है.

बाल अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित चाइल्ड लाइन के जिला समन्वयक गेहरी लाल गुर्जर ने बताया कि विवाह एक सामाजिक बुराई ही नहीं अपितु कानूनन अपराध है. इसकी रोकथाम के लिए सभी को मिलकर कार्य करना होगा, तभी समाज इस बीमारी से मुक्त हो सकेगा. 

उन्होंने कहा कि हम सभी का दायित्व है कि समाज में व्याप्त इस बुराई को पूर्णत: रोकथाम हेतु जनप्रतिनिधियों, नगरीय निकायों, पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संगठनों, जिला प्रशासन एवं संबंधित सभी विभागों के बीच प्रभावी समन्वय, समाज के सभी मुखियाओं के सहयोग, व्यापक प्रचार-प्रसार व मुनादी कराते हुए आमजनों से सहयोग प्राप्त करते हुए इस प्रथा के उन्मूलन हेतु संयूक्त रूप से कारगर कार्यवाही आवश्यक है.

आमेट ब्लॉक समन्वयक निलोफर नीलगर ने बताया  बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 कअंतर्गत बाल विवाह करने वाले वर एवं वधु के माता-पिता, सगे संबंधी, बाराती यहां तक की विवाह कराने वाले पूरोहित पर भी कानूनी कार्यवाही की जा सकती है. 

इसके अतिरिक्त यदि वर या कन्या बाल विवाह पश्चात विवाह को स्वीकार नही करते है तो बालिग होने के पश्चात विवाह को शून्य घोषित करने हेतु आवेदन कर सकते है. बाल विवाह के कारण बच्चों में कुपोषण, शिशु मृत्य दर एवं मातृ मृत्यु दर के साथ घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है एवं बाल विवाह बालको के सर्वोत्तम हित में नहीं है. इस दौरान जतन संस्थान से संजय राव, जरीना बानू, नूरजहाँ बानू भवानी सिंह, निलोफर नीलगर, मंजू, प्रधानाचार्य शंकर मीणा, आंगनवाडी कार्यकर्ता, वार्ड पंच, एएनएम, आशा साथिन, बच्चे महिला, पुरुष उपस्थित रहे.

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