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पैठू प्रथा : हल्दी के दिन मां बनी दुल्हन, लकड़ेवालों ने धूमधाम से किया विवाह, बोले-ये सोने पे सुहागा है !

राज्य Published by: Paliwalwani Updated Thu, 10 Feb 2022 02:44 PM
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शादी किसी भी लड़की के जीवन का अहम दिन होता है। ऐसे में जरा सोचिए क्या होगा यदि दुल्हन शादी के एक दिन पहले बच्चे को पैदा कर मां बन जाए। यकीनन अधिकतर केस में इस तरह की खबर सुन बवाल मच जाएगा। संभव है कि युवती की शादी भी टूट जाए। लेकिन छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में जब एक दुल्हन हल्दी रस्म के दौरान मां बन गई तो परिवार में खुशियां डबल हो गई।

दरअसल यह अनोखा मामला कोंडागाव जिले के बड़ेराजपुर ब्लॉक के बांसकोट गांव का है। यहां रहने वाली शिवबत्ती की शादी ओडिशा निवासी चंदन नेताम के साथ तय हुई थी। शादी 31 जनवरी की थी, वहीं 30 जनवरी को हल्दी की रस्म थी।हल्दी रस्म के दौरान दुल्हन का हल्दी लेपन चल रहा था। इसी दौरान उसके पेट में अचानक दर्द होने लगा। ऐसे में परिवार उसे नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। यहां दुल्हन ने एक बेटे को जन्म दिया। इस खबर को सुन वर और वधू दोनों ही पक्ष खुशी से झूम उठे। उनके लिए शादी की ये खुशी दुगुनी हो गई।

अब आप सोच रहे होंगे कि दुल्हन शादी के ठीक एक दिन पहले मां कैसे बन गई? और इस बात से बवाल मचने की बजाय परिवार खुशियां क्यों मनाने लगा? दुल्हन शिवबती की मां सरिता मंडावी के अनुसार उनकी बेटी 2021 में दूल्हे चंदन नेताम के घर रहने गई थी। यहां वह करीब 8 महीने रही।इसके बाद लड़का और लड़की पक्ष ने निर्णय लिया कि दोनों की शादी करवा दी जाए। फिर 31 जनवरी की शादी तय हुई, लेकिन दुल्हन इसके पहले ही चेतन के बच्चे की मां बन गई। बताते चलें कि दुल्हन शिवबती आदिवासी समाज से आती है। वह पैठू प्रथा के चलते शादी से पूर्व चेतन के घर गई थी।

क्या होती है पैठू प्रथा?

पैठू प्रथा को आप सभी आज के मॉडर्न जमाने की लिव इन रिलेशनशिप कह सकते हैं। हालांकि आदिवासियों समाज में पैठू प्रथा का प्रचलन काफी पुराना है। इस प्रथा के अंतर्गत लड़की अपनी पसंद से लड़क के घर जाती है। वह यहां अपनी मर्जी से जीतने चाहे उतने दिन रुकती है। इससे लड़की के घरवालों को भी कोई एतराज नहीं होता है।

यदि लड़का-लड़की के बीच सबकुछ सही रहता है तो फिर वर एवं वधु पक्ष के लोग उचित समय देखकर उनकी शादी तय कर देते हैं। आदिवासियों में अधिकतर नवाखाई या त्यौहार के अवसर पर ही वैवाहिक कार्यक्रम तय किया जाता है।आदिवासियों को अपनी संस्कृति, रहन-सहन, जीवनशैली और पूजा-पाठ से बहुत प्रेम होता है। इसलिए वह आज भी अपने समाज की सभी प्रथाओं और रीति रिवाजों को गर्व से निभाते हैं।

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