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काली कमाई का राजा : ड्रग इंस्पेक्टर की नौकरी में कमाई 60 लाख पर खरीदी करोड़ो की जमीनें; आय से 160 फीसदी अधिक मिली संपत्ति

राज्य Published by: Paliwalwani Updated Wed, 06 Jul 2022 09:40 PM
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बिहार के पटना में बीते महीने ड्रग इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार के यहां भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के मामले में छापेमारी हुई थी। इस दौरान निगरानी ब्यूरो को ड्रग इंस्पेक्टर जितेंद्र के घर से करीब 27 प्रॉपर्टी के कागजात मिले थे, इनमें से करीब 8 फ़्लैट के कागज थे और बाकी जमीन से दस्तावेज थे। इन सब कागजों की जांच में सामने आया है कि जितेंद्र ने यह प्रॉपर्टी अपने साले, पत्नी, और भाई के नाम बना रखी थी।

अब तक मिली 27 संपत्तियां:

पटना में सुल्तानगंज स्थित के घर पर भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के मामले में छापेमारी के दौरान हाथ लगे इन 27 प्रॉपर्टी के कागजों में 21 संपतियां ऐसी थी, जिनकी रजिस्ट्री कराई जा चुकी थी। इन संपत्तियों में 11 प्रॉपर्टी खुद जितेंद्र के नाम पर हैं। यह सभी बिहार, यूपी और दिल्ल्ली के सात अलग-अलग शहरों में दर्ज हैं।

सभी कागज जितेंद्र के पास मिलने पर संदेह:

पटना के ड्रग इंस्पेक्टर ने अपनी पत्नी निभा के नाम पर दो प्रॉपर्टी अलग-अलग जगह खरीद रखी है, जबकि मां के नाम पर भी पटना और गया में जमीन खरीद रखी है। ब्यूरो के मुताबिक, 27 में 12 ऐसी प्रॉपर्टी हैं जिसे जितेंद्र ने अपने भाई, साले और दूसरे रिश्तेदारों के नाम पर खरीद रखी है। इन सभी संपत्तियों के कागजात ड्रग इंस्पेक्टर के पास से ही पाए गए हैं, ऐसे में ब्यूरो को संदेह है कि सारी संपत्तियों का जुड़ाव जितेंद्र से ही है।

छापे में यह सब हुआ बरामद:

ज्ञात हो कि छापेमारी के दौरान टीम को ड्रग इंस्पेक्टर के घर से 4 करोड़, 11 लाख 79 हजार 700 रुपए की नकदी बरामद की थी। इसके अलावा 36.48 लाख रुपए से अधिक के कीमत की करीब पौन किलो सोना, 1.66 लाख रुपए से अधिक के कीमत की तीन किलो चांदी बरामद हुई थी। जांच में यह भी सामने आया कि उनके बैंक अकाउंट्स में 16 लाख रुपए जमा हैं और कई बम पालिसी में भी लाखों रुपये का निवेश किया गया है।

आय से 160 फीसदी अधिक मिली संपत्ति:

ब्यूरो का मानना है कि जितेंद्र कुमार साल 2012 में बिहार सरकार के नौकरी आए थे। ड्रग इंस्पेक्टर के नौकरी को अभी दस साल ही हुआ है लेकिन उनकी संपत्ति मिली। जबकि जितेंद्र की सैलरी के आंकड़ों को देखा जाए तो वह 60 लाख रुपए ही बनती है। इस सबके पीछे सूत्रों का मानना है कि वह अपने कॉलेज के माध्यम से फार्मासिस्ट की डिग्री बेचते थे, जिनकी कीमत 5 लाख रुपये के करीब होती थी।

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