इस साल कोरोना विषाणु संक्रमण से मरने वालों मेंं 92 फीसद ऐसे लोग रहे जिन्होंने कोरोनारोधी टीका नहीं लगवाया था। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने गुरुवार को यह बात कही। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में भार्गव ने ‘कोविन पोर्टल’, आइसीएमआर जांच और भारत पोर्टल के आंकड़ों को एक साथ मिला कर प्रस्तुत किया।
इसमें 94,47,09,598 लोगों के आंकड़े थे, जिनमें से 15,39,37,796 लोगों को कोरोनारोधी टीके की एक खुराक और 73,98,46,222 को दोनों खुराक लगी हुई थीं। वहीं, 5,09,25,580 लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ था। भार्गव ने बताया कि इन आंकड़ों से हमें पता चला कि साल 2022 में कोरोना संक्रमण से जितने लोगों की मौत हुई, उनमें से 92 फीसद लोग ऐसे थे जिन्होंने टीका नहीं लगवाया था।
मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अभी तक कोरोनारोधी टीकों की 178.02 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी हैं। देश में 97 फीसद बालिग आबादी को एक खुराक और 82 फीसद वयस्क लोगों को दोनों खुराक दी जा चुकी है। देश में 15-18 वर्ष आयु वर्ग के 74 फीसद किशोरों को कोविड-19 रोधी टीके की पहली खुराक दी जा चुकी है जबकि 39 फीसद को दोनों खुराक दी गई है।
अग्रवाल ने कहा कि टीके के विकास, तेजी से इस पर कार्य, स्वीकृति, व्यापक कवरेज के कारण कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या काफी कम देखी गई। अधिकारियों ने कहा कि कोरोनारोधी टीके की पहली खुराक मृत्यु दर को रोकने में 98.9 फीसद प्रभावी है, जबकि दोनों खुराक 99.3 फीसद प्रभावी हैं।
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पाल ने कहा कि हम टीके की बदौलत कोरोना विषाणु संक्रमण के कम मामलों के चरण में हैं। स्कूल, कालेज, आर्थिक गतिविधियों को खोलना और हालात सामान्य बनाना तर्कसंगत है। लेकिन हमें सतर्कता और सावधानी बनाए रखनी चाहिए।