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सम्मेद शिखर तीर्थ क्षेत्र को पारसनाथ वन्य जीवन अभयारण्य घोषित करने पर देशभर में गुस्सा : 18 को लाल किले पर देशभर के जैनियों की विरोध रैली

राजस्थान Published by: Paliwalwani Updated Sat, 17 Dec 2022 01:15 AM
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सकल जैन समाज ने अजमेर में भी निकाली रैली : राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को दिया ज्ञापन

अजमेर : झारखंड स्थित जैन समाज के आस्था के केंद्र सम्मेद शिखर तीर्थ क्षेत्र को केंद्र सरकार द्वारा पारसनाथ वन्य जीव अभ्यारण घोषित किए जाने पर देशभर के जैन समुदाय में गुस्सा है। हालांकि केंद्र सरकार के वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने यह अधिसूचना अगस्त 2019 में जारी की थी, लेकिन इस अधिसूचना के विरोध में जैन समाज में जागरुकता अब आई है। इस जागरूकता और गुस्से की वजह से ही 18 दिसंबर 2022 को दिल्ली के लाल किले पर देश भर के जैन समाज के लोग एकत्रित होकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। इससे पहले देश भर में जिला स्तर पर रैलियां निकाली जा रही है।

इसी क्रम में 16 दिसंबर 2022 को अजमेर में भी महावीर सर्किल से कलेक्ट्रेट तक रैली निकाली गई। सुप्रसिद्ध सोनी जी की नसिया के मालिक समाजसेवी प्रमोद सोनी की अगुवाई में निकली रैली जब कलेक्ट्रेट पर पहुंची तो सकल जैन समाज की ओर से कलेक्टर को एक ज्ञापन भी दिया गया। ज्ञापन में राष्ट्रपति प्रधानमंत्री केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्री तथा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अगस्त 2019 वाली अधिसूचना को निरस्त करने की मांग की गई है।

जैन समाज के प्रतिनिधि कमल गंगवाल ने बताया कि सम्मेद शिखर तीर्थ क्षेत्र जैन समुदाय के 20 तीर्थंकरों की तपस्या का क्षेत्र है। कठोर तपस्या कर ही हमारे तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की थी। यही वजह है कि आज भी हमारे अनेक साधु संत और श्रद्धालु शिखर पर जाकर तप तपस्या करते हैं।

जैन समाज के लोग यहां श्रद्धा भाव से उपस्थित रहते हैं। अभी सम्मेद शिखर क्षेत्र का वातावरण पूरी तरह धार्मिक हे, लेकिन वन्य जीव अभ्यारण घोषित होने से आने वाले दिनों यह क्षेत्र पर्यटन स्थल बन जाएगा और वन्य क्षेत्र देखने के लिए देशी विदेशी पर्यटक आएंगे तो यहां कॉमर्शियल गतिविधियां भी होंगी। होटल, रेस्टोरेंट आदि भी बनेंगे और जगह जगह शराब, मांस आदि की बिक्री भी होने लगेगी। केंद्र सरकार ने अभ्यारण की जो अधिसूचना जारी की है, उसके अनुसार तो इस क्षेत्र में खनन कार्य भी हो सकेगा। खनन कार्य होगा तो उद्योग भी लगेंगे।

गंगवाल ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को चाहिए कि जैन समाज की भावनाओं का आदर करते हुए सम्मेद शिखर तीर्थ क्षेत्र को धार्मिक स्थल ही बनाए रखा जाए। इस तीर्थ स्थल को कमाई का जरिया न बनाया जाए। गंगवाल ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी आग्रह किया है कि झारखंड सरकार की ओर से एक पत्र लिखकर अगस्त 2019 की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की जाए।

असल में झारखंड सरकार की मांग पर ही सम्मेद शिखर क्षेत्र के 208 किलोमीटर क्षेत्र को पारसनाथ वन्य जीव अभ्यारण घोषित किया गया है। गंगवाल ने बताया कि सम्मेद शिखर के धार्मिक महत्व को बनाए रखने की संपूर्ण जैन समाज एकजुट है। सम्मेद शिखर बचाओ अभियान और दिल्ली में 18 दिसंबर को होने वाली रैली के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829007484 पर समाजसेवी कमल गंगवाल से ली जा सकती है। 

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