कहते हैं ‘नाम में क्या रखा है’। लेकिन कई बार कुछ नाम इतने अजीब होते हैं कि हम सिर पीट लेते हैं। अब भारत के इन अजीबो गरीब रेलवे स्टेशन को ही देख लीजिए। इनके नाम इतने अनोखे और अतरंगी है कि इन्हें पढ़कर आपकी हंसी कई मिनटों तक नहीं रुकेगी। इन्हें देख आपके मुंह से भी निकल पड़ेगा ‘ऐसा नाम कौन रखता है भाई?’
बीबीनगर नाम का यह स्टेशन तेलंगाना के भुवानीनगर जिले में है। यह दक्षिण-मध्य रेलवे में विजयवाड़ा डिवीजन का स्टेशन है। इसका नाम बीवीनगर कैसे पड़ा किसी को नहीं पता। और हाँ इसका किसी की पत्नी से कोई संबंध नहीं है।
यह नाम सुनकर आपको जरूर हंसी आई होगी। ये भी लगा होगा कि ये स्टेशन सच में बाकी सभी स्टेशन का बाप होगा। लेकिन ऐसा नहीं है। यह एक बेहद छोटा सा स्टेशन है। यह राजस्थान के जोधपुर में स्थित है।
नाना नाम का यह स्टेशन राजस्थान में स्थित है। इसे देखने के लिए आपको सूबे के सिरोही पिंडवारा नामक जगह पर जाना होगा। वैसे बता दें कि इस स्टेशन का नाना पाटेकर या किसी के नाना से कोई लेना देना नहीं है।
यह नाम सुनकर सभी जीजा लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ गई होगी। यदि आप अपनी साली साहिबा के साथ इस स्टेशन के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको राजस्थान के जोधपुर जिले के डूडू नामक स्थान पर जाना होगा। ये स्टेशन उत्तरी-पश्चिमी रेलवे से कनेक्टेड है।
वैसे तो चाचा कभी ओढ़नी नहीं पहनते, लेकिन इस स्टेशन का नाम रखने वाले को अजीब मस्ती सूझी होगी। यह स्टेशन उत्तर-पश्चिम रेलवे के जोधपुर डिवीजन में स्थित है। यह पोखकर के बेहद के पास बना है।
आप अपनी सहेली संग एक बार इस स्टेशन पर जरूर जाइएगा। घर पर बोलना ‘मैं अपने सहेली के साथ सहेली स्टेशन पर जा रही हूँ।’ ये स्टेशन मध्य प्रदेश के भोपाल और इटारसी के पास में मौजूद है। यह मध्य रेलवे के नागपुर डिवीजन में पड़ता है।
बकरा प्रजाति को यह जानकर खुशी होगी कि उनके नाम पर भी एक रेलवे स्टेशन मौजूद है। इसे देखने के लिए आपको जालंधर के एक गांव में जाना होगा। यह स्टेशन फिरोजपुर डिवीजन में आता है।
यह नाम सुनकर तो जरूर आपके चेहरे पर मुस्कान आई होगी। वैसे इस स्टेशन पर सूअर नहीं बल्कि इंसान ट्रेन पकड़ते हैं। यह स्टेशन उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में एक गांव में आता है। इसके पास रामपुर, मुरादाबाद और अमरोहा जैसे बड़े स्टेशन पड़ते हैं।
यह एक छोटा सा स्टेशन है। इसका नाम तेलंगाना के निर्मल जिले में स्थित भैंसा शहर पर पड़ा है। इस शहर में करीब पचास हजार लोग रहते हैं। यहां से ज्यादा ट्रेनें भी नहीं जाती है।
यह महज एक बोर्डिंग स्टेशन है। यह उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में पड़ता है। इसका नाम सुनकर ऐसा लगता है मानो इस स्टेशन पर सैकड़ों बिल्लियां रहती हैं। अब ये सच है या नहीं ये आप वहां जाकर पता कर लीजिए।
सूअर, बकरा, भैंसा और बिल्ली के बाद कुत्ते के नाम पर भी एक रेलवे स्टेशन बनता ही था। यह स्टेशन कुट्टा कर्नाटक राज्य का एक छोटा सा गांव है। यह कूर्ग क्षेत्र के किनारे पर मौजूद है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और वन्य जीवन देखने लायक हैं।
अब ऐसा नहीं है कि यहां की सभी ट्रेनें आपको भागकर ही पकड़नी होगी। बस ये एक नाम ही है भाई। इस रेलवे स्टेशन को आप झारखंड के धनबाद जिले के सिंदरी रोड पर देख सकते हैं।
कम पैसों में सिंगापुर जाना चाहते हैं तो इस स्टेशन पर पहुंच जाइए। यहां के लिए आपको वीजा भी नहीं लगेगा। यह स्टेशन aapko ओडिशा में देखने को मिलेगा। यहां से कई एक्सप्रेस ट्रेन गुजरती हैं।
जीतने भी बेवड़े लोग हैं उनके लिए ये स्टेशन जन्नत से कम नहीं है। यहां आकर आपको असली फ़ील आएगा। यह झारखंड के हजारीबाग जिले का एक गांव है। इसी पर स्टेशन का नाम रखा है।
‘कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है’ कुमार विश्वास का यह गीत आप इस स्टेशन पर आकर जरूर सुनना। यह हरियाणा में पानीपत के नजदीक स्थित है। यहां दो प्लेटफार्म है जिन पर रोज 16 ट्रेनें आकर ठहरती हैं।
यह स्टेशन का नाम किसी को बोल मत देना। उसे लगेगा आप गाली दे रहे हैं। यह नाम भोसरी गांव से प्रेरित है। इस गांव का नाम पहले भोजपुर हुआ करता था। यह गांव अपनी कला के लिए जाना जाता है। यहां 2000 साल पुराना “कलाकार महल” भी है। यह नासिक फाटा पर स्थित है।
उम्मीद करते हैं कि इस स्टेशन का नाम सुनकर आप कुछ खा नहीं रहे हैं। यह टट्टी खाना तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले का एक गांव है। यहां आकर यदि आपका पेट गड़बड़ हो जाए तो टॉइलेट जाना और सबको बताना ‘टट्टी खाना में टट्टी कर रहा हूं।’
यह स्टेशन यूपी के चित्रकूट जिले में स्थित पनौती गांव में है। इसमें करीब 2,197 लोग रहते हैं। यहां रहने वालों का अक्सर पनौती कहकर मजाक उड़ाया जाता है।