नई दिल्ली. कृषि के मामले में हम लगातार कामयाबी की बुलंदियों को छू रहे हैं. अनाज उत्पादन हो या दूध उत्पादन या फिर प्रोसेसिंग का क्षेत्र, हर जगह उत्पादन तो बढ़ रही रहा है, साथ ही किसानों की कमाई भी बढ़ रही है. सरकार ने भी किसानों की आमदनी बढ़ाने के मकसद से आत्मनिर्भर कृषि नाम से अभियान चलाया हुआ है. क्योंकि मोदी सरकार का फोकस किसानों की समस्याओं को दूर करके उनकी आमदनी दोगुनी करने पर फोकस किया हुआ है.
कृषि को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सबसे अहम रोल बीज का होता है. बीज जितना अच्छा और स्वस्थ होगा, फसल भी उतनी ही शानदार होगी, उस पर कीट और बीमारियों का हमला भी कम होगा.
यदि बीज खराब है तो अन्य तमाम साधनों जैसे खाद, सिंचाई आदि पर किया खर्च किया गया पैसा और मेहनत बेकार हो जाती है. इसलिए खेती-बाड़ी से जुड़े तमाम साधन जैसे, बीज, उर्वरक, कीटनाशी, पानी, बिजली, मशीनरी, किसान की मेहनत और तकनीकी जानकारी आदि अपने आप में महत्वपूर्ण हैं, परन्तु इनमें बीजों का महत्व सबसे ऊपर है.
सभी किसान जानते हैं कि अच्छी क्वालिटी का बीज सामान्य बीज के मुकाबले 25 प्रतिशत तक ज्यादा पैदावार देता है. इसलिए शुद्ध, स्वस्थ और प्रमाणित बीज ही अच्छी पैदावार का आधार होता है. प्रमाणित बीजों का इस्तेमाल करने से जहां एक ओर अच्छी पैदावार मिलती है वहीं समय और पैसों की बचत होती है.
दूसरी तरफ अशुद्ध बीज से ना तो अच्छी पैदावार मिलती है और ना ही बाजार में अच्छी कीमत. अशुद्ध बीज से उत्पादन तो कम होता ही है और भविष्य के लिए भी अच्छा बीज प्राप्त नहीं होता है.
किसान को हर सीजन की फसलों के लिए हर बार बाजार से नया बीज खरीदना पड़ता है. फसल की लागत का एक बड़ा हिस्सा बीज पर खर्च होता है. और इस पर भी अगर बीज खराब क्वालिटी का आए तो किसान की सारी मेहनत चौपट हो जाती है.
और चमदार पैकेट के अंदर कैसा बीज है, उसकी कोई गारंटी नहीं होती. इसलिए बेहतर होगा कि किसान खुद का ही बीज तैयार करें. इससे पैदावार अच्छी होगी.
अगर किसान फसल को अनाज के तौर पर न उगाकर उसे बीज के रूप में तैयार करें तो निश्चित ही उसकी आमदनी कई गुना बढ़ जाएगी. क्योंकि फसल के समय में मंडी में क्या भाव मिलता है, यह तो सभी को पता है.
सबसे बड़ी बात ये है कि बीज उत्पादन के लिए केंद्र समेत राज्य सरकारें किसानों की मदद करती हैं. किसानों को बीज उगाने की तकनीक से लेकर समय-समय पर देखभाल और वैज्ञानिक सलाह भी सरकार द्वारा दी जाती है.
खास बात ये है कि जिस तरह किसान अपने गेहूं, सरसों या धान को सही कीमत पर बेचने के लिए इधर-उधर भटकते हैं, वह परेशानी बीज उत्पादन में नहीं होगी. क्योंकि सरकार खुद किसानों से उनका बीज खरीदने में मदद भी करती है. सरकार या कृषि विश्वविद्यालय अक्सर गांव स्तर पर ग्रुप बनाकर बीज उत्पादन कार्यक्रम को चलाते हैं.
बीज उत्पादन का शुरू करने से आप केवल एक आम किसान बनकर नहीं रह जाते बल्कि एक बीज कारोबारी बन सकते हैं. इसलिए अपने खेत में भी एक किसान बीज उत्पादन का बिजनेस शुरू कर सकता है.
बिहार सरकार ने भी ”बने बीज निगम के बीज उत्पादक” नाम से एक अभियान शुरू किया हुआ है. किसान इस अभियान में शामिल हो सकते हैं.
बिहार के अलावा भी तमाम राज्यों में वहां की सरकारें, कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक भी बीज उत्पादन में किसानों की मदद करते हैं. किसान अपने जिले के कृषि अधिकार या कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से मिलकर इस बारे में ज्यादा जानकारी हासिल कर सकते हैं.
यह समय रबी फसलों की बुआई का है. इसलिए किसान खेत तैयार करते समय कृषि वैज्ञानिकों से मिलकर बीज उत्पादन की तकनीक हासिल करके सरसों या गेहूं का बीज तैयार करेंगे तो निश्चित ही उन्हें आम फसल के मुकाबले कई गुना ज्यादा फायदा होगा.