पर्सनल लोन कई बार बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के काम आता है। इसके लिए आपको कोलैटेरल या सिक्योरिटी देने की जरूरत नहीं होती। बल्कि सैलरी स्लिप और क्रेडिट स्कोर के आधार पर ही बैंक और दूसरी फाइनेंशियल संस्था आपको पर्सनल लोन मुहैया करा देती है। पर्सनल लोन की दूसरी सबसे बड़ी खासियत ये होती है कि, इसे आप किसी भी यूज में खर्च कर सकते हैं। जबकि होम लोन, एजुकेशन लोन या दूसरे लोन आपको उसी चीज में खर्च करना होता है। जिसके लिए आपने अप्लाई किया हो। लेकिन पर्सनल लोन लेते समय कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते है इसके बारे में….
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पर्सनल लोन के लिए कोई सिक्योरिटी नहीं देनी होती। इसलिए बहुत से लोग अपनी चुकाने की लिमिट से ज्यादा लोन लें लेते हैं। वहीं पर्सनल लोन पर इंटरेस्ट रेट भी काफी ज्यादा होता है। इसलिए EMI का बोझ ज्यादा पड़ने की वजह से फाइनेंशियल कंडीशन खराब होने का खतरा बना रहा है। इसलिए पर्सनल लोन उतना ही लेना चाहिए। जितना कि, आप चुका सके।
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में EMI समय पर नहीं देने पर बैंक की ओर से मोटा फाइन लाया जा सकता है। इसलिए पर्सनल लोन की किस्त को समय पर चुकाना चाहिए। इससे दूसरा फायदा ये होता है कि, पर्सनल लोन समय पर चुक जाता है।
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जब भी पर्सनल लोन लेने की जरूरत हो तो इसे कंपेरिजन करने के बाद ही फाइनल करना चाहिए। क्योंकि अलग-अलग बैंक का रेट ऑफ इंटरेंस्ट अलग-अलग होता है कही आपको 9 फीसदी तो कही 24 फीसदी की दर पर पर्सनल लोन मिलता है।
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आमतौर पर 21 से 65 साल के लोग ले सकते हैं। इसके लिए न्यूनतम मासिक आय (नेट) 15,000 से 30,000 रुपये के बीच होनी चाहिए। उधारकर्ता का न्यूनतम काम का अनुभव मौजूदा नौकरी में एक साल या कुल मिलाकर दो साल होना चाहिए। आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा होने पर सस्ता व आसानी से कर्ज मिल जाएगा।
अगर आप समय पर पर्सनल लोन का भुगतान नहीं करेंगे तो आपका क्रेडिट स्कोर खराब होगा। इससे भविष्य में आपके लोन लेने की क्षमाता भी प्रभावित होगी और बैंक आप पर विश्वास नहीं करेंगे।