बेटी के भविष्य को आर्थिक रूप से संवारने के लिए देश में कई विकल्प मौजूद हैं। आइए जानते हैं कुछ सिक्योर व सबसे ज्यादा पॉपुलर विकल्पों के बारे में…
बच्चियों का भविष्य आर्थिक तौर पर सुरक्षित हो, इसके लिए सरकार ने 2015 में सुकन्या समृद्धि योजना की पेशकश की। इस योजना के तहत 10 साल से कम उम्र की बच्ची का खाता खुलवाया जा सकता है, जो कि पोस्ट ऑफिस या किसी भी बड़े बैंक में आसानी से खुल जाता है। वैसे तो स्कीम के अंतर्गत अधिकतम दो बच्चियों का ही खाता खुल सकता है, लेकिन अगर किसी की जुड़वां बच्चियां हैं तो खाता तीन बच्चियों तक के लिए खुलवाया जा सकता है। सुकन्या समृद्धि खाते को मिनिमम 250 रुपये में खुलवाया जा सकता है और एक वित्त वर्ष में मिनिमम जमा 250 रुपये और मैक्सिमम 1.5 लाख रुपये तय की गई है। बच्ची की ओर से उसके मूल या कानूनी अभिभावक सुकन्या समृद्धि खाता खोल सकते हैं।
सुकन्या समृद्धि खाते में खाता खुलवाने की तारीख से लेकर अधिकतम 14 वर्ष तक या बच्ची के 21 वर्ष के हो जाने तक पैसा जमा कर सकते हैं। बच्ची के 21 वर्ष पूरे होने पर या फिर बच्ची की शादी होने पर स्कीम परिपक्व हो जाती है। 14 वर्ष वाली अवधि पहले ही पूरी हो जाने पर परिपक्वता तक उस समय की तय ब्याज दर के हिसाब से खाते में पैसा जुड़ता रहता है।
भारत में फिक्स्ड डिपॉजिट, बचत के लिए एक सुरक्षित, आसान व पॉपुलर विकल्प माना जाता है। आप अपनी बच्ची के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) शुरू कर सकते हैं। इस पर सेविंग्स अकांउट से अधिक ब्याज रहता है। अगर एकमुश्त रकम जमा कर बचत नहीं कर सकते हैं तो रिकरिंग डिपॉजिट (RD) करा सकते हैं। RD की खास बात यह है कि इसमें आप हर माह अमाउंट डाल सकते हैं। आप अलग-अलग बैंकों के FD और RD रेट्स की तुलना कर अपनी सहूलियत के मुताबिक बैंक और अकाउंट चुन सकते हैं।
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट भारत सरकार की एक पहल है। यह एक फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट स्कीम है। डाकघर NSC का मैच्योरिटी पीरियड 5 साल और मौजूदा ब्याज दर 6.8 फीसदी सालाना है। NSC में मिनिमम 1000 रुपये से निवेश शुरू किया जा सकता है। निवेश की कोई अधिकतम सीमा नहीं है। कोई भी भारतीय नागरिक किसी भी डाकघर से नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट ले सकता है। NSC को सिंगल या ज्वॉइंट में, 10 साल से अधिक उम्र के नाबालिग द्वारा, नाबालिग के नाम पर वयस्क द्वारा, दिमागी रूप से कमजोर व्यक्ति के नाम पर उसके अभिभावक द्वारा खरीदा जा सकता है। स्कीम के तहत कितने ही अकाउंट खोले जा सकते हैं। NSC में निवेश किए गए पैसे पर आयकर कानून के सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। NSC को, जारी होने से लेकर मैच्योरिटी डेट के बीच एक बार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर किया जा सकता है।
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PPF में निवेश किया जाने वाला पैसा, उस पर मिलने वाला ब्याज और मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने पर मिलने वाली धनराशि, तीनों पर टैक्स से छूट है। PPF अकाउंट को कोई भी भारतीय खुलवा सकता है। इसे नाबालिग के नाम पर भी खुलवाया जा सकता है। PPF फिक्स्ड ब्याज दर वाली स्कीम है लेकिन दर हर तिमाही पर बदलती है। मौजूदा ब्याज दर 7.1 फीसदी सालाना है। PPF में एक वित्त वर्ष में मिनिमम 500 रुपये और मैक्सिमम 1.5 लाख रुपये जमा किए जा सकते हैं। PPF अकाउंट डाकघर और बैंकों में खोला जा सकता है। PPF का मैच्योरिटी पीरियड 15 साल है। लेकिन कुछ खास परिस्थितियों में PPF को मैच्योरिटी से पहले क्लोज किया जा सकता है। इतना ही नहीं, एक निश्चित वक्त के बाद इसमें से पैसे विदड्रॉinve भी किए जा सकते हैं। 15 साल का मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने के बाद चाहें तो अकाउंट को 5—5 साल के ब्लॉक में एक्सटेंड कर सकते हैं।
आप अपनी बच्ची के लिए फंड इकट्ठा करने के लिए म्युचुअल फंड के विकल्प भी देख सकते हैं। इसमें निवेश के लिए सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) मोड का चुनाव कर सकते हैं। SIP की मदद से म्युचुअल फंड में हर माह एक फिक्स्ड अमाउंट डाल सकते हैं और बेटी के लिए चाहे जितने साल म्युचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। SIP के जरिए अपनी सहूलियत और जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर इक्विटी या डेट म्युचुअल फंड का चुनाव कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि म्युचुअल फंड में निवेश से पहले इसके बारे में पूरी तरह जान लें। जरूरत हो तो किसी फाइनेंशियल एडवायजर की सलाह ले लें।