इंदौर : (विनोद गोयल...) शनिदेव की कृपा रंक को राजा और उनकी नाराजी राजा को रंक बना सकती है। शनि अच्छे कामों के लिए हमारा मार्गदर्शन और पथ प्रदर्शन भी करते हैं। शनि की कृपा से हम शिखर तक पहुंच सकते हैं। शनि सहज और सरल देवता हैं, जो केवल तेल चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं। हमारे कर्मों के अनुरूप फल देने वाले शनिदेव जितनी जल्दी प्रसन्न होते हैं, उतनी ही जल्दी हमारे स्वार्थी कर्मों से नाराज भी हो जाते हैं।
प्रख्यात शनि साधिका डॉ. विभाश्री ने आज गीता भवन में शनि उपासक मंडल एवं संस्था समरस की मेजबानी में चल रहे पांच दिवसीय शनि पुराण महात्यम कथा के दौरान बताई। उन्होंने कहा कि जब हनुमानजी लंका में पहुंचे तो वहां शनिदेव भी उनकी मदद के लिए आए। शनिदेव हनुमानजी के कंधे पर सवार हो गए तो हनुमानजी ने यह सोचकर कि शनिदेव तो अब साढ़े सात वर्ष बाद ही उतरेंगे, अपना कद बहुत ऊंचा कर लिया। इसके कारण शनिदेव नीचे गिर पड़े तो हनुमानजी ने तेल की मालिश कर उनका दर्द दूर किया। तब से ही तेल चढ़ाने से शनिदेव प्रसन्न होते आ रहे हैं। शनिदेव हमसे नाराज हैं, यह जानने के लिए हमें अपनी वर्तमान दशा का आंकलन करना चाहिए। यदि निरपराध होते हुए भी हमें दंड मिले, भलाई करने जाएं और फिर भी बुराई मिले, बनते हुए घर बिगड़ने लगे, रिश्तों में दरार आने लगे, अपने ही स्वजन अपमानित करने लगें, शरीर में कोई ऐसी बीमारी आ जाए जो डाक्टर्स भी पकड़ न पाएं, मानसिक संताप बना रहे, अपने लोग ही विश्वासघात करें तो समझ लीजिए कि हम पर शऩि की कोई दशा, महादशा, अंतर्दशा या साढ़ेसाती, ढैय्या आदि का प्रभाव है। इसी तरह यदि हमें अपनी पात्रता और हैसियत से ज्यादा मिले, बड़े वाहन, भवन और भौतिक साधनों का सुख मिलता रहे, परिवार के सदस्यों के बीच सामंजस्य बना रहे, संतान आपके आदेश का पालन करे, शरीर से स्वस्थ रहें और किसी भी तरह का संकट आए भी तो तुरंत दूर हो जाए तो समझ लें कि शनिदेव की कृपा हम पर बनी हुई है।
डॉ. विभाश्री ने कहा कि शनि बहुत न्यायप्रिय और सहज-सरल देवता हैं। दुर्भाग्य यह है कि शनिवार के दिन गली-गली और चौराहों पर शनिदेव के नाम पर तेल चढ़ाने वाले या भीख में पैसा मांगने वाले लोग हमारी संस्कृति को भी लांछित कर रहे हैं। दिल्ली में तो यह भी तथ्य सामने आया कि अनेक मुस्लिम लोग भी इस तरह शनिवार के दिन भीख मांगते हैं। ऐसे लोग एक ही दिन में इतना पैसा कमा लेते हैं कि पूरे सप्ताह शराब और बीड़ी-सिगरेट आदि में खर्च कर देते हैं। शनिदेव के नाम पर यदि हम ऐसे लोगों को भीख देना बंद कर दें तो यह शर्मनाक स्थिति दूर हो सकती है। यदि शनिदेव के लिए तेल मांगने वाले लोग यह दावा करें कि इससे शनि प्रसन्न हो जाएंगे तो उनसे पूछना चाहिए कि फिर तुम्हारी दरिद्रता क्यों नहीं दूर होती। इस तरह की प्रवृत्ति से हमारी गौरवशाली संस्कृति को भी बदनामी मिलती है। शनि को तेल प्रिय है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हम किसी भिखारी या मंदिर में ही तेल का दान करें। शनिदेव के नाम पर मांगने वाले लोग असल में निकम्मे और ठग हैं। मैंने तो अपने संन्यास दीक्षा के समय ही गंगोत्री में संकल्प किया हुआ है कि मैं शनि के नाम पर न तो कभी किसी से कुछ मांगूंगी और न ही ऐसे किसी धन को हाथ लगाऊंगी।
डॉ. विभाश्री ने अपने प्रवचन का शुभारंभ शनिदेव के गुरु भगवान शिव की स्तुति से किया। उन्होंने कहा क राजा दशरथ भी शनि की कृपा से ही एक नहीं चार-चार पुत्रों के पिता बने। इसी तरह सत्यवादी राजा हरीशचंद्र भी शनि की नाराजी से ही पहले रंक बने और फिर बाद में उनकी प्रतिष्ठा आज भी सत्यवादी के रूप में कायम है। रावण वेदों का ज्ञाता था और राम से भी अधिक विद्वान एवं सक्षम था इसके बावजूद उसके बुरे कर्मों के कारण उसे पराजित होना पड़ा। हनुमानजी लंका में गए तो पूरी लंका जला डाली लेकिन उनकी पूंछ क्यों नहीं जली, इसमें भी शनिदेव की ही कृपा रही।