पंडित मिश्रा यहां दलाल बाग में अपार जनसमूह की उपस्थिति में आज चौथे दिवस श्री शिव महापुराण कथा का श्रवण करा रहे थे. विधायक संजय शुक्ला एवं उनके मित्र मंडल के द्वारा आयोजित की गई. इस कथा में आज रविवार का दिन होने के कारण पिछले 3 दिनों की तुलना में और भी ज्यादा अपार जनसमूह उमड़ पड़ा. इस जनसमूह ने दलाल बाग के आसपास की सड़क की एक लाइन को पूरा बैठ कर पाट दिया.
जनसमूह के बीच कथा का श्रवण कराते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि अक्सर लोग शिकायत करते हुए मिलते हैं कि कोई तंत्र मंत्र कर रहा है. कोई कहता है कि मेरे यहां कोई नींबू फेंक जाता है. हकीकत में देखो तो ऐसा कुछ नहीं होता है. कोई तंत्र मंत्र से किसी का कुछ बिगाड़ नहीं सकता. यदि कोई बिगाड़ने की ताकत रखने वाला होता तो वह देश के धन्ना सेठ और ताकत के प्रतीक लोगों पर अपनी क्रिया करके दिखाता. हकीकत यह है कि हम जिसे तंत्र मंत्र का प्रयोग का परिणाम मान रहे हैं वह हमारे कर्मों का फल है. जो हमें भोगना है. उसे तो भोगना ही पड़ेगा. कलयुग में केवल भगवान के नाम का स्मरण ही हमारे कष्टों को काट सकता है. त्रेता युग में राम जी आए, द्वापरयुग में कृष्ण जी आए और यह कलयुग है यह तो भगवान शिव का युग है. कण-कण में शिव है. इनकी आराधना करने से, इन्हें एक लोटा जल चढ़ाने से फल अवश्य मिलेगा. शिव की आराधना कभी खाली नहीं जाती है. डमरू वाला जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है.
पंडित मिश्रा ने कहा कि जब हमें कष्ट आता है तो हम घबरा जाते हैं. घबराओ मत. भगवान को याद करो. उसके भजन में डूब जाओ. ऐसे में कष्ट एक बार आएगा, दो बार आएगा, तीन बार आएगा.. फिर आना बंद हो जाएगा.
उन्होंने अवंतिका नगरी की कथा सुनाते हुए कहा एक समय था, जब वहां पर बड़ी संख्या में ब्राह्मण रहते थे. सभी भगवान शिव की आराधना में लीन थे. सब छूटे छूटने दो लेकिन महाकाल का पूजन नहीं छूटना चाहिए. उन्होंने राक्षस दूषण के द्वारा किए गए ताप और ब्रह्मा जी से प्राप्त किए गए वरदान की कथा सुनाते हुए कहा कि इस ब्राह्मण के द्वारा रूप बदलकर एक ज्ञानी ब्राह्मण का वेश धारण कर अवंतिका नगरी में प्रवेश किया गया.
वह यहां ब्राह्मणों के बच्चों को शिक्षा देने के नाम पर बुलाता और उनका रक्त चूस कर उन्हें फेंक देता था. इससे ब्राह्मण समाज में हाहाकार मच गया. बड़ी संख्या में ब्राह्मण अवंतिका नगरी को छोड़कर जाने के बारे में विचार करने लगे. इन ब्राह्मणों ने वेद प्रिय से जाकर अपनी समस्या कही तो उन्होंने अपने पुत्र हरि प्रिय से कहा की अवंतिका की मिट्टी लाओ और उससे पार्थिव शिवलिंग बनाओ. जब हरि प्रिय मिट्टी लेकर आया तो वह मिट्टी लाल रंग की थी. इस पर वेद प्रिय नाराज हुए तो उन्हें ब्राह्मणों ने कहा कि हमारे पुत्रों का रक्त पीकर उनके शरीर को जिस तरह से दूषण ने फेंका है, उससे पूरी अवंतिका की माटी लाल हो गई है.
पंडित मिश्रा जी ने अवंतिका नगरी की कथा का श्रवण कराते हुए कहा कि वेद प्रिय ने अपने बेटे हरि प्रिय को अवंतिका की शुद्ध मिट्टी लाने के लिए भेजा. हरि प्रिय ने जहां भी जाकर मिट्टी को देखा तो वह मिट्टी लाल ही मिली. इस पर उसने नारायण का ध्यान किया. भगवान नारायण उसकी कठोर साधना में प्रकट हुए. भगवान ने एक बार नहीं 8 बार आकर हरि प्रिय को आवाज दी लेकिन 8 बार हरि प्रिय ने अपनी साधना नहीं छोड़ी. फिर जब नवी बार भगवान ने आकर उसे आवाज दी तब हरि प्रिय ने अपनी साधना रोककर आंखें खोली और प्रभु के चरण पकड़ लिए. इसके बाद भगवान से अवंतिका में शुद्ध मिट्टी देने का आग्रह किया. तो भगवान ने कहा कि तुम 7 स्थानों पर जाकर मिट्टी को उठाओ तो वह मिट्टी पूरी तरह शुद्ध होगी. इस पर हरि प्रिय ने वहां प्रकट हुए भगवान नारायण के नौ स्वरूप से कहा कि अब आप यही विराज जाओ. उसी समय अवंतिका नगरी में नो नारायण विराजित हुए. फिर हरि प्रिय ने 7 स्थानों पर जाकर वहां से मिट्टी उठाई तो जहां से वह मिट्टी उठाते वहां पर सरोवर बन जाता और अवंतिका नगरी में 7 सरोवर बने गए. पंडित मिश्रा ने इसके बाद इस कथा के आगे का श्रवण कराते हुए कहा कि छपरिया ने किस तरह से दूषण के वध के लिए भगवान शिव के चोरियासी स्वरूप किए और फिर राक्षस दूषण का वध हुआ. भगवान शिव 84 स्वरूप में अवंतिका नगरी में विराजमान हो गए.
विधायक संजय शुक्ला ने पालीवाल वाणी को बताया कि श्री शिव महापुराण कथा में कल सोमवार को पांचवें दिवस पर बाबा महाकाल के प्रकट होने की कथा का वाचन होगा. इसके साथ ही उज्जैन नगरी के गौरव की गाथा से सभी श्रद्धालु रूबरू हो सकेंगे. उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे व्यवस्थाओं में सहयोग देने के अपने क्रम को निरंतर बनाए रखें. हमारी ओर से बेहतर से बेहतर व्यवस्था देने की कोशिश की जा रही है. भक्तों के सैलाब के आगे सारी व्यवस्थाएं बोनी पडती हुई नजर आ रही है.