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paliwal news : श्री चारभुजनानाथ जी के श्रीचरणों में पहुंचा, पीड़ित श्री शुभम व्यास का दुःख भरा ज्ञापन पत्र

इंदौर Published by: paliwalwani Updated Sat, 15 Mar 2025 11:09 AM
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प्रति,

श्री चारभुजानाथ जी,

44, जुना तुकोगंज, इंदौर, मध्य प्रदेश  

विषयः न्याय प्राप्ति हेतु विनम्र प्रार्थना.

’हे मेरे दीनानाथ, श्री चाभुजानाथ...!,

●  मैं, शुभम स्व. इंद्रलाल जी व्यास, आपका दीन-हीन दास, आपके श्रीचरणों में अपनी व्यथा समर्पित करता हूँ.

●  मेरे सांसारिक पिता अब आपके धाम में विश्राम कर रहे हैं, अतः मेरे लिए इस संसार में आप ही मेरे पिता हैं.

●  हे प्रभु, मैं अत्यंत पीड़ा में हूँ, अन्याय का शिकार हो चुका हूँ.

●  मुझे समाज के कर्ताधर्ताओं ने एक षड्यंत्र रचकर समाज से निष्कासित कर दिया, जबकि मेरी कोई गलती नहीं थी.  

●  हे प्रभु, आप तो सब जानते ही हैं कि मैं क्यों गया था और मेरे क्या भाव थे! 

●  हे प्रभु, मेरी स्थिति उसी गजेन्द्र हाथी की भाँति है, जिसे मगरमच्छ ने पकड़ लिया था.

●  गजेन्द्र ने जब देखा कि वह स्वयं संकट में हे तब उसने एक कमल का पुष्प आपके श्रीचरणों में अर्पित किया और आपकी शरण में समर्पित हुआ तब आपने स्वयं सुदर्शन चक्र से मगरमच्छ के बंधन काटकर उसे मुक्त किया.

●  हे प्रभु, आज मेरे साथ भी वही हुआ है.

●  मुझे भी समाज के प्रभावशाली सत्ताधारियों ने पकड़ लिया है, मेरे ऊपर अन्याय किया गया है, और आप ही मुझे इस षडयंत्र से मुक्त करने में समर्थ है. 

●  प्रभु, मैं आपकी गीता के वचन का ही पालन कर रहा था.

●  आपने ही कहा हे सत्य, धर्म, समाज के हित के लिए आवाज उठाना प्रथम कर्तव्य हे, इस कर्तव्य को करने में कभी देर नहीं  करना चाहिए. अन्याय के विरूद्ध आवाज उठाना प्रथम कर्तव्य है.

●  हे नाथ, मैंने तो केवल आपके ही मार्ग का अनुसरण किया था.  

●  मैंने सत्य और धर्म की रक्षा के लिए आवाज़ उठाई और उसका परिणाम यह हुआ कि मुझे समाज से निष्कासित कर दिया गया.  

●  हे प्रभु, सत्ताधारी अत्यधिक प्रभावशाली हैं.

●  मंत्री विजय जोशी जी ने कहा था “मैं कॉलोनाइज़र हूँ, या तो तू समाज में रहेगा या मैं मंत्री पद पर रहूँगा!“

●  उन्होंने अपनी बात को सच साबित किया और मुझे बिना सुनवाई समाज से निष्कासित करवा दिया.

●  हे प्रभु, मैं सत्ताधारियों की शिकायत करने नहीं आया हूँ.

●  मैं तो बस एक पुत्र की भाँति अपनी व्यथा अपने पिता को सुना रहा हूँ.

●  हे मायापति, मैं बस सत्य और धर्म की विजय चाहता हूँ.

●  अब आप ही मेरे सहायक है, हे चारभुजा नाथ, अपने पुत्र की इतनी कठोर परीक्षा न लें.

●  सत्ताधारियों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, अब उन्हें दंड देना आपकी ही ज़िम्मेदारी है.

●  हे नाथ, अब मैं पूर्ण रूप से आपकी शरण में हूँ.

●  बस एक कृपा कर दीजिए, मुझे न्याय दिला दीजिए, और इस अन्याय से उबार लीजिए.

आपका पुत्र

शुभम स्व. इंद्रलाल व्यास  

24, न्यू दुर्गा नगर, मरीमाता चौराहा, इंदौर, मध्य प्रदेश

मोबाईल संवाद : 9144444694

नोट : पीड़ित श्री शुभम व्यास के पक्ष में जारी पत्रों की श्रृंखला में एक पत्र और सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है, देखिए एक बानगी...!

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